अब तक अपने बच्चों को उंगली पकड़ कर यहाँ तक लायी हू,अब उन्होंने मेरी उंगली पकड़ ली है |पढ़ने के लिए दोनों बच्चे घर से दूर चले गए है फ़ोन पर बातें होती रहती है, मगर जब बेटे से कहा की जब तुम लोग यहाँ छुट्टियों में आते हो तो ऐसा लगता है की अब बहुत हो गया, मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना रहता है मगर ज़रूरी बातो के अलावा कुछ कह ही नही पाती और तुम्हारे जाने का समय हो जाता है, तो उसने सुझाया- आप जो कहना चाहते हो उसे लिख दो, मगर कैसे ? पूछने पर उसने ये ब्लॉग बना दिया |जब भी फ़ोन लगाती ,पूछता-लिखा की नही मेरा जबाब होता लिखूंगी|
यहाँ तक की फ़ोन लगाने के पहले ही डर लगने लगा कि फ़िर पूछेगा तो???? बेटी कहती-हमें तो कुछ करने के लिये कैसे कहते हो, अब आप करो तो !!!!|आखिर एक दिन तय कर ही लिया की आज तो कुछ न कुछ लिख ही दूंगी चाहे पसंद आए या न आए| पर अब जब से कॉमेंट्स आने लगे (कभी-कभी ) तो डर लगता है कि वे सब आगे भी पढ़ने की उम्मीद से कॉमेंट्स करते है| कल ही बेटे से कहा है -तुने मुझे मुसीबत में डाल दिया है तो हंसने लगा ,तब तो उससे बोल दिया की हंस ले, हंस ले मगर अब समझ में आ रहा है की बच्चे, माँ की उंगली छुडा कर क्यो भागते है!!!!!!!!!! -
यहाँ तक की फ़ोन लगाने के पहले ही डर लगने लगा कि फ़िर पूछेगा तो???? बेटी कहती-हमें तो कुछ करने के लिये कैसे कहते हो, अब आप करो तो !!!!|आखिर एक दिन तय कर ही लिया की आज तो कुछ न कुछ लिख ही दूंगी चाहे पसंद आए या न आए| पर अब जब से कॉमेंट्स आने लगे (कभी-कभी ) तो डर लगता है कि वे सब आगे भी पढ़ने की उम्मीद से कॉमेंट्स करते है| कल ही बेटे से कहा है -तुने मुझे मुसीबत में डाल दिया है तो हंसने लगा ,तब तो उससे बोल दिया की हंस ले, हंस ले मगर अब समझ में आ रहा है की बच्चे, माँ की उंगली छुडा कर क्यो भागते है!!!!!!!!!! -
aapne dil ko chhoo liya in panktiyo dwaara..
ReplyDeletekabhi fursat mein http://merastitva.blogspot.com par aayiye.. dhanyawaad..
i tried writing something ...but ended up erasing all...because nothing said matters here...
ReplyDeleteI love you mummy.
मेरे बेटा भी बहुत दूर चला गया। मैं भी उससे एवं अपनी बिटिया रानी से अक्सर संवाद अपने चिट्ठों के द्वारा करता हूं।
ReplyDeleteआप अच्छा लिखती हैं। इस पर जितनी टिप्पणियां होनी चाहिये उतनी नहीं हैं। लगता है कि अभी आपने चिट्ठे को पंजीकृत नहीं करवाया।
कुछ चिट्ठों पर टिप्पणी भी करिये। लोग अपने चिट्ठों के टिप्पणिकर्ता के बारे में एत्सुक रहते हैं। वे इसी बहाने यहां आयेंगे। वे एक बार आयेंगे तो बार बार आयेंगे ऐसा मेरा सोचना है।
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