जिंदा हूँ अभी----
मेरे बच्चों के पिता नहीं रहे
पर मैं अपना गला घोंट न पाई
मैने कत्ल कर दिया
अपनी तमाम हसरतों का
और बतौर फ़र्ज
उठा लिया खुद को भी अपनी गोदी में
अब भी पकडी हूँ हाथ अपने बच्चों के
इसी डर से कि वे भटक न जाएं कहीं
चलती रही हूँ,चल रही हूँ और चलना है मुझे
जब तक कि मंज़िल न पा जाउं कहीं
खुदा से भी कर न पाई कभी शिकायत
कि जिन्दा हूँ अभी !!!
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ReplyDeleteएक साहसी व्यक्तित्व को सादर नमन
ReplyDeleteऔह...!
ReplyDeleteइसे विडम्बना ही कहूँगा!
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आपके साहस की सराहना करता हूँ!
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स्तुत्य है आपका यह माँ का स्वरूप!
यह बहुत मार्मिक है...... मगर सब कुछ हमारे हाथ में नहीं है न ....
ReplyDeleteलगता है प्रारब्ध हर वक्त मज़ाक उड़ाने को साथ साथ चलता है ! तसल्ली नहीं देना चाहता मगर इस शेर में शायद बहुत कुछ सही है ...
"यकीन न आये तो इक बात पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वो ज़ख्मों से चूर निकलेगा "
हार्दिक शुभकामनायें ...