Saturday, June 20, 2009

मैने हमेशा देखा है---

---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो पत्तल में जूठन छोडकर खाना वेस्ट करते हैं ,
और एक वे जो फ़ेंकी पत्तलों की जूठन खाकर -- खाना टेस्ट करते हैं ।

मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो आंगन व गाडीयाँ धोकर पानी व्यर्थ बहाते है ,
और एक वे जो कोटरों में पानी रखकर-- पंछियों की भी जान बचाते हैं ।

मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जिनके पैर जमीन पर पडते ही मैले हो जाते हैं ,
और एक वे जो अपने जमीनी मैले पैर कभी नहीं धो पाते हैं ।

---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के बच्चों को---
एक वे जो कई रंगों की चाकलेट खाकर उनके रेपर यहाँ-वहाँ फ़ेंक देते हैं ,
और एक वे जो यहाँ-वहाँ गिरे चाकलेट के रेपरों को उठाकर-- उनके रंगों को गौर से देखते हैं ।



8 comments:

  1. sukchhma ehasaas........bahut badhiya

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  2. वाक़ई आपकी नज़र का जवाब नहीं, शब्द प्रयोग भी सार्थक है

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    चर्चा । Discuss INDIA

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  3. सिक्के के दोनों पहलू देखे हैं आपने.

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  4. अर्चना जी,

    बहुत ही सूक्ष्म दृष्टी और चिंतन जगाता दृष्टीकोण। हर एक पहलु सच्चाई को बयां करता हुआ अपने विरोधाभास के साथ।

    बधाई।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  5. बिलकुल सही देखा है आपने . बहुत सही.

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  6. सह्रदय धन्यवाद ----रजनिश जी,ओम आर्य जी,विनय जी,समीर जी,मुकेश जी तथा महेन्द्र जी!!!

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  7. सुन्दर! अच्छा लगा आपका देखना!

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