१---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो पत्तल में जूठन छोडकर खाना वेस्ट करते हैं ,
और एक वे जो फ़ेंकी पत्तलों की जूठन खाकर -- खाना टेस्ट करते हैं ।
मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो आंगन व गाडीयाँ धोकर पानी व्यर्थ बहाते है ,
और एक वे जो कोटरों में पानी रखकर-- पंछियों की भी जान बचाते हैं ।
मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जिनके पैर जमीन पर पडते ही मैले हो जाते हैं ,
और एक वे जो अपने जमीनी मैले पैर कभी नहीं धो पाते हैं ।
२---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के बच्चों को---
एक वे जो कई रंगों की चाकलेट खाकर उनके रेपर यहाँ-वहाँ फ़ेंक देते हैं ,
और एक वे जो यहाँ-वहाँ गिरे चाकलेट के रेपरों को उठाकर-- उनके रंगों को गौर से देखते हैं ।
आपकी पारखी नजर को सलाम।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sukchhma ehasaas........bahut badhiya
ReplyDeleteवाक़ई आपकी नज़र का जवाब नहीं, शब्द प्रयोग भी सार्थक है
ReplyDelete---
चर्चा । Discuss INDIA
सिक्के के दोनों पहलू देखे हैं आपने.
ReplyDeleteअर्चना जी,
ReplyDeleteबहुत ही सूक्ष्म दृष्टी और चिंतन जगाता दृष्टीकोण। हर एक पहलु सच्चाई को बयां करता हुआ अपने विरोधाभास के साथ।
बधाई।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बिलकुल सही देखा है आपने . बहुत सही.
ReplyDeleteसह्रदय धन्यवाद ----रजनिश जी,ओम आर्य जी,विनय जी,समीर जी,मुकेश जी तथा महेन्द्र जी!!!
ReplyDeleteसुन्दर! अच्छा लगा आपका देखना!
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