१----- जानकारी
अभी तक यही सुनने में आया है---
कि जानकारी के अभाव में लोगों ने अपना समय और पैसा गंवाया है ,
तो हम क्यों न जानकारों से करें विनती--- वे सभी को बताएँ---
कि उन्होंने अपना समय और पैसे कैसे बचाए ???
२-----इन्द्र्धनुष
आसमान में रोज नये रंग बनते हैं ,
सूरज भी उगता है और बादल भी छँटते हैं ,
सुख और दुख के बीच हर एक के दिन कटते हैं ,
मिलजुल कर रहें तो ये दोनों आपस में बँटते हैं ।
३-----हँसी
बातें करो थोडी-थोडी ,
हों वो छोटी , ना हों बडी ,
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी ।
४-----मदद
ऐसी बारिश हो कि कोई नदी न सूखे ,
ऐसा वातावरण दो कि कोई दुख मे न डूबे ,
खुद भी सीखो दूसरों को भी सिखाओ ,
अपना तो ठीक है, औरों का जीवन बनाओ ।
५-----गम
मन का दरवाजा खोल दे ,
सपनों पर जमीं धूल उड जायेगी ,
कडवी यादों का अफ़साना बोल दे ,
आंसू बहाने की आदत छूट जायेगी ।
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteमुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
ReplyDeleteहँसो जैसे सावन की झडी ।
bahut achchha
सहज शब्दों में न्यारी बातें कह दी हैं आपने इन क्षणिकाओं में।
ReplyDeleteबातें करो थोडी-थोडी ,
ReplyDeleteहों वो छोटी , ना हों बडी ,
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी ।
bahut hi sunder lagi yeh aur baki bhi,badhai.
सुंदर कवितायेँ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeletebahut hi sundar chhoti kavitaye .......jisame bhawo ki dhara hai......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर छोटी छोटी रचनाये है . पढ़कर बहुत अच्छा फील हुआ. बधाई . लिखती रहिये.
ReplyDeleteधन्यवाद आप सभी का इन छोटी कविताओं को सराहने के लिए!!!!!
ReplyDeleteसुन्दर! लिखना जारी रखें!
ReplyDeletesari ki sari bekar poems hain
ReplyDeletekisi ko kuchch likhna nahin aata
kavitaa likhenge hunn!!
vanshaj
ReplyDeleteवंशज जी आपकी सोच अनुसार कविता कैसी हो आप क्या चाहते हैं
really nice ,
ReplyDeletevery realistic..
keep writing ..
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteJo log khud bekaar hote hain, aur khud kuchh nahi kar sakte unhe har acchhi cheez bekar kagti hai......
ReplyDelete.
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for vanshaj
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteधन्यवाद अर्चना जी
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