न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
वाह, दादी नानी सी गोद में लेने वाली कविता बहुत सुहायी ।
बहुत बढिया
सुन्दर कविता शुभकामनाऐं.
ek naajuk si kawita ..........man ko sahala gayi yah kawita
very good poem
वाह, दादी नानी सी गोद में लेने वाली कविता बहुत सुहायी ।
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteशुभकामनाऐं.
ek naajuk si kawita ..........man ko sahala gayi yah kawita
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeletevery good poem
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