हम सबके जीवन में कई बार ऐसा कुछ घटता है कि , हम समझ ही नही पाते कि--- ऐसा हुआ तो हुआ ही क्यों??? कैसे??? और---
सब-कुछ अच्छा होते- होते अचानक ही सब- कुछ बदल जाता है---और ऐसा जब हमारे आसपास बार-बारहोता है तो इस तरह की कविता का होना स्वभाविक है-----
" इस बार ईश्वर ने फ़िर ऐसा खेल खेला---
कि जिसने देखा,वो सिहर गया था
और फ़िर पासा पलट गया---
शायद शकुनी ने फ़ेंका था
उससे सब कुछ छिन गया---
जिसने अभी हाथों में भी न पकडा था
हम चाहें भी तो कुछ नहीं कर पा रहे हैं---
शायद ईश्वर ने उसे अच्छा बनते देख लिया था । "
कई बार ऎसा भी कुछ हो जाता है, जो हम ने सोचा भी ना हो.
ReplyDeletekiske liye?
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