न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
हमने पढ़ा, और खूब मन से पढ़ा । पढ़ने के लिये यह जरूरी तो नहीं कि लिंक हो ही । समस्या यही थी कि फ़ीड ही नहीं मिल रही थी । यह तो ब्लॉगवाणी से पता चला इस पोस्ट का । धन्यवाद ।
waahwaah !
हमने पढ़ा, और खूब मन से पढ़ा । पढ़ने के लिये यह जरूरी तो नहीं कि लिंक हो ही । समस्या यही थी कि फ़ीड ही नहीं मिल रही थी । यह तो ब्लॉगवाणी से पता चला इस पोस्ट का । धन्यवाद ।
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