राखी नहीं सिर्फ़ धागा या डोर ,
बंधता है इसमें एक छोर से दूसरा छोर ,
नहीं बन्धन ये सिर्फ़ कलाई का ,
इसमें छुपा है दर्द जुदाई का ,
मिलन की रहती सदा इसमे आस है ,
रिश्ता ये ऐसा जो हर दिल के पास है ,
निभा सके हम इसे जीवन भर ,
आओ संकल्प करें इस रक्षाबंधन पर..................
बंधता है इसमें एक छोर से दूसरा छोर ,
नहीं बन्धन ये सिर्फ़ कलाई का ,
इसमें छुपा है दर्द जुदाई का ,
मिलन की रहती सदा इसमे आस है ,
रिश्ता ये ऐसा जो हर दिल के पास है ,
निभा सके हम इसे जीवन भर ,
आओ संकल्प करें इस रक्षाबंधन पर..................
बंधता है इसमें एक छोर से दूसरा छोर
ReplyDelete===
सब कुछ तो कह दिया इस एक पंक्ति ने.
बहुत सुन्दर ढंग से आपने राखी के रिश्ते को उकेरा है.
बहुत हि कोमल है भाई बहन के रिशतो सा......बहुत बधाई
ReplyDeletebahut sunder,sneh ka bandhan hamesha bandha rahe.
ReplyDeleteबहुत ही अद्भुत और प्यारा बन्धन है। खासकर इस बन्धन में खुद को बँधवाने के लिए उनका दिल तड़पता है जिसको राखी बाँधने के लिए बहन नहीं है।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत अच्छा.
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें.
sahi kaha aapne
ReplyDeleteरिश्ता ये ऐसा जो हर दिल के पास । रचना का आभार ।
ReplyDeleteरक्षाबंधन की शुभकामनायें ।
bohot sundar...
ReplyDeleteइस सदाबहार कविता को पढ़वाने के लिए आभार!
ReplyDeleteये हुई ना कोई बात.. राखी पर राखी की सुन्दर कविता वो भी आपकी खुद की लिखी हुई.. :) राखी की बधाइयां.
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 29 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!