Tuesday, August 4, 2009

राखी..............

राखी नहीं सिर्फ़ धागा या डोर ,
बंधता है इसमें एक छोर से दूसरा छोर ,
नहीं बन्धन ये सिर्फ़ कलाई का ,
इसमें छुपा है दर्द जुदाई का ,
मिलन की रहती सदा इसमे आस है ,
रिश्ता ये ऐसा जो हर दिल के पास है ,
निभा सके हम इसे जीवन भर ,
आओ संकल्प करें इस रक्षाबंधन पर..................

11 comments:

  1. बंधता है इसमें एक छोर से दूसरा छोर
    ===
    सब कुछ तो कह दिया इस एक पंक्ति ने.
    बहुत सुन्दर ढंग से आपने राखी के रिश्ते को उकेरा है.

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  2. बहुत हि कोमल है भाई बहन के रिशतो सा......बहुत बधाई

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  3. bahut sunder,sneh ka bandhan hamesha bandha rahe.

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  4. बहुत ही अद्भुत और प्यारा बन्धन है। खासकर इस बन्धन में खुद को बँधवाने के लिए उनका दिल तड़पता है जिसको राखी बाँधने के लिए बहन नहीं है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  5. बहुत अच्छा.

    रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें.

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  6. रिश्ता ये ऐसा जो हर दिल के पास । रचना का आभार ।
    रक्षाबंधन की शुभकामनायें ।

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  7. इस सदाबहार कविता को पढ़वाने के लिए आभार!

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  8. ये हुई ना कोई बात.. राखी पर राखी की सुन्दर कविता वो भी आपकी खुद की लिखी हुई.. :) राखी की बधाइयां.

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  9. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 29 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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