Tuesday, May 4, 2010

तुलसी जी के दोहे....................




एक और प्रयास.........................

आज सुनिए नीति के दोहे ------(... सिर्फ़ दो दोहे ---- ताकि थोडा समय मिले इसे अपने जीवन में उतारने के लिए ....)







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5 comments:

  1. बहुत सुंदर, लेकिन आप का ब्लांग खुलते ही सब से पहले तो स्क्रीन पर एक बडी सी एड आती है, उस के बाद कुछ भी पढना आप के ब्लांग पर कठिन है, किसी तरह उसे हटाओ तो दो तीन पेज ओर खुल जाते है, पता नही यह मेरे संग हो रहा है या ओरो के संग भी

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  2. बहुत आभार..सुबह अच्छी शुरु हुई सुनकर.

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  3. हमारे सिस्टम में तोप के लिये अर्जी लगाई जाये तो बंदूक मंजूर होती है। द्स बीस दोहे सुनते तो शायद एक दो को जीवन में उतार पाते, देखिये अब क्या नतीजा निकलता है :)
    बहुत सुंदर लगे दोहे, संख्या ज्यादा होती तो और अच्छा लगता।
    आभार।

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  4. बाली जी,राज जी, समीर जी ,संजय जी आप सभी का धन्यवाद |
    @ राज जी ,इस तरह की समस्या मुझे भी कभी-कभी हो जाती है पता नही क्यों?
    @ संजय जी ,और भी सुनवाउंगी......पर सिर्फ़ पढाना या सुनाना मकसद नही है .....आत्मसात भी करवाना है..........इसलिए धीरे-धीरे ही .....

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