Tuesday, May 4, 2010

ख़ुशी के दो पल ..............................






उम्र के इस मोड़ पर मै जीना चाहती हूँ ,
कुछ पल अपनी जिंदगी के संवारना चाहती हूँ ,
वक्त को यादो में संजोना चाहती हूँ ,
और यादों के मोती एक माला में पीरोना चाहती हूँ ,
अब तक का सफर मैंने ऐसे किया ,
मै किसी में , और कोई मुझमे जीया ,
शेष बचे अपनो को नही खोना चाहती हूँ,
थोडी देर बस अपने बारे में सोचना चाहती हूँ ,
क्योकि मरने वाले के साथ तो मरा नही जाता है ,
कोई अपने को कर्ज तो कोई फर्ज से दबा हुआ पाता है ,
कर्ज तो फ़िर भी कभी छोड़ा जा सकता है ,
मगर फर्ज से भी कोई कभी हाथ खींच पाता है?
चलो छोड़ दे दुःख की सारी बाते,
सुख को पकड़कर आपस में बांटे,
आँखों में चमक और सबके होठों पर मुस्कान ले आयें
किसे पता ? आज आँखे खुली है शायद कल बंद हो
जाए।

12 comments:

  1. चलो छोड़ दे दुःख की सारी बाते,
    सुख को पकड़कर आपस में बांटे,
    क्या सुन्दर बात कही है आपने -- बहुत सुन्दर

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  2. "कर्ज तो फ़िर भी छोड़ा जा सकता है,
    मगर फ़र्ज से भी कभी कोई हाथ खींच पाता है"

    बहुत खूबसूरत बात कही है।

    आभार

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  3. आँखों में चमक और सबके होठों पर मुस्कान ले आयें
    किसे पता ? आज आँखे खुली है शायद कल बंद हो जाए।


    अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

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  4. बहुत ही मार्मिक रचना ,इस दुःख भरे संसार में खुशी के पल पाना बहुत ही असाध्य है /

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  5. bahut sahi baat aur bahut sundar rachna har pal jeene ka prayas karna chahiye...kya pata kal kya ho jaye...

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  6. दिल को छूती अभिव्यक्ति!

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  7. सही कहा आपने.

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  8. सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति ! आभार ।

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  9. aisi ashubh baaton wali kavita mat kahiye.. yahan har kisi ki apni ek importance hoti hai Archna ji.
    Kavita achchhi hai
    aur haan wo jo maine bheji usme maine kuchh changes kiye the par poori kavita meri nahin mere do chhote bhai(junior artist) ki hai haan 30% maine changes ya edition kiya hai bass.

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  10. बहुत खूबसूरत बात कही है।
    शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई.

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  11. बहुत उम्दा।

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