Saturday, May 15, 2010

..........नाम में कुछ नहीं ...........................

आज सुनिए एक और पुरानी कहानी ....................शीर्षक है........................ " नाम में कुछ नहीं "



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4 comments:

  1. पता नहीं क्यों आवाज रूक रूक कर आ रही है

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  2. सच है नाम तो केवल व्यवहार के लिए रखा जाता है.. पर 'नाम नैनसुख, आंखन अंधे' ये भी तो कहते हैं...:)

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  3. सराहनीय कहानी.....दिल में उतर जाने वाली प्रस्तुति...साधुवाद!
    ==================
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  4. शिक्षाप्रद कहानी!

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