मैंने आपकी कहानी सुनली है. अब हकीकत सुनिये. अभी कुछ घंटे पहले मेरी फोन पर शुक्ला साहब से बात हुई है वे ब्लागिंग की दुनिया को छोड़कर हिल स्टेशन जाने की बात कह रहे थे. ज्ञानदद और उन्होंने जो हरकत की है उनका छोड़कर जाना ही अच्छा है। जाने भी दो गंदगी साफ हो जावेगी।
मैंने आपकी कहानी सुनली है. अब हकीकत सुनिये. अभी कुछ घंटे पहले मेरी फोन पर शुक्ला साहब से बात हुई है वे ब्लागिंग की दुनिया को छोड़कर हिल स्टेशन जाने की बात कह रहे थे.
ReplyDeleteज्ञानदद और उन्होंने जो हरकत की है उनका छोड़कर जाना ही अच्छा है।
जाने भी दो गंदगी साफ हो जावेगी।
blogjagat me bhi yahi ladayi hai...kahani me to ek ne haar maan li thi...yahan to koi nahi maane wala...
ReplyDeleteजिस ने रथ से उतर कर मार्ग दिया वो बडा. धन्यवाद इस सुंदर कहानी के लिये, आप का बोलने का लहजा बहुत अच्छा है एक एक शव्द सही ओर सही उचारण से.
ReplyDeleteधन्यवाद
सुंदरम्
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमार्ग देने वाला और मार्ग बताने वाला ही बड़ा होता है.
कहानी सुनाने का आपका अन्दाज़ निराला है
प्रेरक कथा. वाचन भी बहुत उम्दा किया आपने.
ReplyDeleteबचपन में पढ़ी थी ये कहानी.. आज आपकी कोमल वाणी में सुन और भी अच्छे लगी. यही सच्चे प्रेरक प्रसंग होते हैं.. श्री भाटिया जी ने सही कहा.
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