Wednesday, June 23, 2010

रुला के गया सपना.............................. मेरा .............................( कृपया शीर्षक पर ना जाए ...................भावो को समझे .......)

3 comments:

  1. गाना सुनाया...मेघा छाये आधी रात...और बैनर लगा रखा है...रुला के गया सपना...


    ये क्या है??

    वैसे गाया तो अच्छा है.

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  2. गाया तो अच्छा है.
    लेकिन पोस्ट का शीर्षक तो गीत से भिन्न है!

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  3. अब समझा जब मेघा छायेगे, आधी रात को तो बरसेगे भी, ओर जब बरसेगे तो छत भी टपके गी??? तो भाई यह सपना जिसे भी आयेगा उसे तो रुला कर ही जायेगा ना, समीर जी, ओर शास्त्री जी आप कृपया शीर्षक पर ना जाए ...................भावो को समझे

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