न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
गाना सुनाया...मेघा छाये आधी रात...और बैनर लगा रखा है...रुला के गया सपना...ये क्या है??वैसे गाया तो अच्छा है.
गाया तो अच्छा है.लेकिन पोस्ट का शीर्षक तो गीत से भिन्न है!
अब समझा जब मेघा छायेगे, आधी रात को तो बरसेगे भी, ओर जब बरसेगे तो छत भी टपके गी??? तो भाई यह सपना जिसे भी आयेगा उसे तो रुला कर ही जायेगा ना, समीर जी, ओर शास्त्री जी आप कृपया शीर्षक पर ना जाए ...................भावो को समझे
गाना सुनाया...मेघा छाये आधी रात...और बैनर लगा रखा है...रुला के गया सपना...
ReplyDeleteये क्या है??
वैसे गाया तो अच्छा है.
गाया तो अच्छा है.
ReplyDeleteलेकिन पोस्ट का शीर्षक तो गीत से भिन्न है!
अब समझा जब मेघा छायेगे, आधी रात को तो बरसेगे भी, ओर जब बरसेगे तो छत भी टपके गी??? तो भाई यह सपना जिसे भी आयेगा उसे तो रुला कर ही जायेगा ना, समीर जी, ओर शास्त्री जी आप कृपया शीर्षक पर ना जाए ...................भावो को समझे
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