इन दिनों शिक्षकों को शिक्षा देने के उद्देश्य से स्कूल में सेमिनार चल रहे हैं।कल तनाव मुक्त कैसे किया जाए? ये बताने /समझाने वाले आए थे सभी शिक्षकों को इकठ्ठा कर लिया गया था...............
सबसे पहले बताया गया ------धर्म से न जोडें.......इस बात को ......पूरी तरह अध्यात्मिक है.........
कुछ देर बाद लक्ष्मी जी का उदाहरण देते हुए पूछा गया --वे किस मुद्रा मे रहती हैं चित्रो मे?
तुरन्त जबाब मिला ---हाथ से पैसे नीचे गिराते हुए......
समझाया -----हाँ,इसका मतलब "Don;t hold money " .......वो उपर से आता है और नीचे चला जाता है ....
...अगर होल्ड कर लेंगे तो बहाव रुक जायेगा .......................................
अब मेरा दिमाग दौडने लग गया था (स्पोर्ट्स मे होने से जल्दी वार्मअप हो जाता है ) ..........वहाँ बैठे सारे शिक्षकों पर नजर सरपट दौड रही थी हर चेहरे से नजर मिलते ही मुस्कराहट का आदान-प्रदान भी हो रहा था..............और मेरे दिमाग का घोडा ये तय करते जा रहा था कि .........करीब हर धर्म को मानने वाले सभ्रान्त लोग वहाँ बैठे थे ............अब वो बात जिसके लिए भूमिका बनानी पडी ...........
....................................टेस्ट पेपर ....१................................
नोट :----तीसरा प्रश्न अनिवार्य है ।प्रत्येक प्रश्न के नम्बर निर्धारित है ।प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट व अलग -अलग लिखे जाएं ।
जिन विद्यार्थियों को विषय की जानकारी न हों वे परीक्षा में न बैठें।
प्रश्न १:- लक्ष्मी जी का उदाहरण मुझे तो समझ मे आ गया ( बचपन से मंदिर के अलावा कहीं तो भेजा नहीं गया था )मै कभी मस्जिद/गिरजाघर/गुरूद्वारा नहीं गई पर जानना चाहती हूँ वहाँ अन्दर क्या होता है ? मै सोच रही थी जो शिक्षक मुस्लिम/सिख/ईसाइ धर्म के हैं वे इसे किस तरह से समझ रहे होंगे ?
प्रश्न २:-मेरे स्कूल में हर धर्म को मानने वाले बच्चे पढते हैं मैं चूंकि स्पोर्ट्स टीचर हूँ पूरे स्कूल्के हर बच्चे के साथ मेरा दिल का रिश्ता बन जाता है ,अब मै सोच रही हूँ-- राहुल/मयूरी को तो मै समझा सकती हूँ ,पर अरबाज़/मनप्रीत या लिलियन को कैसे समझाउं और किससे रिलेट करके ?
प्रश्न३:-इससे तनाव बढा या कम हुआ ?
सच कहा आपने, यह तो तनाव बढ़ाने वाली ही बात हुई।
ReplyDeleteइससे तनाव नहीं चिंतन बढ़ता है। जानने के प्रति रूचि जागृत होती है और आप फिर सभी सम्प्रदायों के बारे में जानने लगते हो और फिर अच्छे शिक्षक बनते हो।
ReplyDeletehhahahha.....
ReplyDeletewhat an irony....
इतना गहराई में उतरेंगी तब तो उनकी दुकान चल चुकी...आपके साथ साथ वो भी तनावग्रस्त हो जायेंगे.
ReplyDeleteसबके भगवान अलग-अलग है!
ReplyDeleteयही तो सबसे बड़ी विडम्बना है!
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ईश्वर के यहाँ से आने की और वापिस जाने की सबकी तो सबकी नियति एक ही है!
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बस हमने अपनी सुविधा अनुसार उस जगत नियन्ता को अलग मान लिया है!
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यही सबसे बड़ी तनाव की वजह है!
सबके भगवान अलग-अलग है!
ReplyDeleteयही तो सबसे बड़ी विडम्बना है!
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ईश्वर के यहाँ से आने की और वापिस जाने की तो सबकी नियति एक ही है!
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बस हमने अपनी सुविधा अनुसार उस जगत नियन्ता को अलग मान लिया है!
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यही सबसे बड़ी तनाव की वजह है!
तनाव और बढ गया।
ReplyDeleteकोई और उपाय हो तो बताएं, ताकि हम उसे भी आजमाएँ।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
विचारणीय...
ReplyDeleteअरे यह क्या बात हुयी पहले भी तो सभी बच्चे राम रहीम इक्क्ट्टॆ ही पढते थे, हम ने बहुत सी कलासो मै अपने साथीयो को दुसरे धर्म को मानते देखा था, अब नया क्या आ गया जो तनाव बढ गया, बच्चे तो मन के सच्चे होते है, आप पढाइये बेफ़िक्र हो कर तनाव को रहने दे,पढाने से पहले उस पाठ को ध्यान से पढे, आप की जानकारी भी बढेगी अलग अलग धर्मो के बारे .... हम सब ने स्कुल ओर ओफ़िस मै ही अलग अलग धर्मो वालो से मिल कर बहुत कुछ जाना है. आप भी कोशिश करे ओर तनाव को दुर भगाये
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