Tuesday, August 17, 2010

एक युगल गीत -------समीरलाल (उडनतश्तरी वाले ) के साथ-------एक नया (अभिनव )प्रयोग

आभार समीर जी का !!! जो उन्होंने (मेरे साथ) युगल गीत गाया -------






16 comments:

  1. बेशक अभिनव
    बधाई समीर जी और आप को

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  2. झूम झूम गया... मुग्ध हो गया इस जुगलबंदी पर..

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  3. यह प्रयोग बहुत सफल रहा!
    --
    जुगलबन्दी सुनकर मन प्रसन्न हो गया!

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  4. आनन्द तो मुझे भी बहुत आया..अभिनव प्रयोग रहा.

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  5. मुग्ध हो गया इस जुगलबंदी पर..

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  6. बहुत खूब! समीरलाल के स्वर में सुना था। अब आपको गाते हुये सुना तो और अच्छा लगा। बहुत सुन्दर!

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  7. अतिसुन्दर!!!!! मनमोहक, मनभावन!! :)

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  8. ये अभिनव प्रयोग बहुत ही सफल रहा..

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  9. सुर का गुरुत्व और कविता की सुरीली शहनाई। मज़ा आ गया।

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  10. बहुत ख़ूब... आप और समीर जी को बधाई

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  11. चंचल नदी की नटखट धारा सा सुर अर्चनाजी का
    भेद भरे गहरे सागर का गांभीर्य लिए स्वर समीरजी का
    बेहद खूबसूरत प्रयोग...

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  12. अभिनव प्रयोग. ऐसी और पोस्टों का इंतज़ार है।

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  13. waah ...bahut sundar prayog ....

    badhaii evam shubhkamnayen ...!!

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  14. This comment has been removed by the author.

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