न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
कविता और स्वर!--दोनों का जवाब नही!--इस खारे पानी की सरिता में तो सागर समाया हुआ है!
लगा कि स्वर से अश्रु टपक रहे हैं। सुन्दर।
nahin sun sakta ghar pe sunoonga.. par pata hai achchha hi hoga..
kavita achchhi hai, aur swar ka kya kahna
अति सुन्दर।
वाह!! बहुत सुन्दर गायन...राकेश जी के गीत यूं भी अद्भुत होते हैं...आनन्द आ गया.
यही कहना सही रहेगा ...बेहतरीन प्रस्तुति ...!
बहुत खूब ! अच्छा गाया आपने !
कविता और स्वर!
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दोनों का जवाब नही!
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इस खारे पानी की सरिता में तो
सागर समाया हुआ है!
लगा कि स्वर से अश्रु टपक रहे हैं। सुन्दर।
ReplyDeletenahin sun sakta
ReplyDeleteghar pe sunoonga.. par pata hai achchha hi hoga..
kavita achchhi hai, aur swar ka kya kahna
ReplyDeleteअति सुन्दर।
ReplyDeleteवाह!! बहुत सुन्दर गायन...राकेश जी के गीत यूं भी अद्भुत होते हैं...आनन्द आ गया.
ReplyDeleteयही कहना सही रहेगा ...बेहतरीन प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteबहुत खूब ! अच्छा गाया आपने !
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