न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Monday, August 30, 2010
सुहानी भोर ................................
चित्र गूगल से साभार .....
फिर आया सावन,
हुई रिमझम बारिश,
था गाँव में जो तालाब,
पूरी हुई उसकी ख्वाहिश,
याद आया उसे अपना किनारा,
जहां बसा था एक घर प्यारा,
नजर जो घुमाई उस ओर,
बस दिखी थी एक आस की डोर,
बरसों पहले बसा करते थे जहां,
हंसों के जोड़े,
ले उड़े थे उन्हें,
इच्छाओं के घोड़े,
अब एक लंबी आह भरता है,
और ये आशा करता है,
हंसों के वे जोड़े,
वापस आयेंगे,
रिश्तों के टूटे मोती,
साथ लायेंगे,
गूथेंगे माला,
पह्नायेंगे दादी को,
सुनेंगे कहानी,
और याद करेंगे नानी को,
खेलेंगे खेल और,
सूने घर में भर देंगे शोर,
होगी एक दिन,
फिर वही सुहानी भोर .....................
"रिश्तों के मोती" वाह क्या बात है | सुंदर रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteकुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।
ReplyDeleteहर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसहज सरल चिंतनपरक !
ReplyDeleteआप निश्चिंत रहें, वह भोर अवश्य आयेगी।
ReplyDeletebahut sundar acchii kavita.
ReplyDeletebeautiful!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteआप अगर फोन्ट्स का साईज थोड़ा छोटा रखेंगी तो रचना और प्रभावशाली दिखेगी
बहुत बढ़िया रही यह रचना!
ReplyDeleteक्या बात है , बहुत ही अच्छा लिखा है सावन पर
ReplyDeleteफिर बरसेंगे कारे बदरा, फिर सब झूम झूम कर नाचेंगे
पर ये भी याद रखना, कुछ लोग बचने को अपना घर छोड़ के भागेंगे
कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
maine kaha na tha ki aap koshish to kariye.. kavita to apne aap kaise foot padee hai aap khud hee dekh rahi hongeen..
ReplyDeleteयहाँ तो बस एक बारिश की कमी है, बाकी सब तो ऊपर वाले की दुआ से नसीब है ही.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .
वाह! बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteवाह क्या बात है जी
ReplyDeleteइच्छाएं यादों के घोड़ो पे सवार हो कहाँ कहाँ हो आती है..:)
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