Monday, August 30, 2010

सुहानी भोर ................................




चित्र गूगल से साभार .....

फिर आया सावन,
हुई रिमझम बारिश,

था गाँव में जो तालाब,
पूरी हुई उसकी ख्वाहिश,

याद आया उसे अपना किनारा,
जहां बसा था एक घर प्यारा,

नजर जो घुमाई उस ओर,
बस दिखी थी एक आस की डोर,

बरसों पहले बसा करते थे जहां,
हंसों के जोड़े,

ले उड़े थे उन्हें,
इच्छाओं के घोड़े,

अब एक लंबी आह भरता है,
और ये आशा करता है,

हंसों के वे जोड़े,
वापस आयेंगे,

रिश्तों के टूटे मोती,
साथ लायेंगे,

गूथेंगे माला,
पह्नायेंगे दादी को,

सुनेंगे कहानी,
और याद करेंगे नानी को,

खेलेंगे खेल और,
सूने घर में भर देंगे शोर,

होगी एक दिन,
फिर वही सुहानी भोर .....................

15 comments:

  1. "रिश्तों के मोती" वाह क्या बात है | सुंदर रचना के लिए बधाई

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  2. कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।

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  3. हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. सहज सरल चिंतनपरक !

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  5. आप निश्चिंत रहें, वह भोर अवश्य आयेगी।

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  6. bahut sundar acchii kavita.

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  7. बहुत बढ़िया...
    आप अगर फोन्ट्स का साईज थोड़ा छोटा रखेंगी तो रचना और प्रभावशाली दिखेगी

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  8. क्या बात है , बहुत ही अच्छा लिखा है सावन पर

    फिर बरसेंगे कारे बदरा, फिर सब झूम झूम कर नाचेंगे
    पर ये भी याद रखना, कुछ लोग बचने को अपना घर छोड़ के भागेंगे

    कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
    (क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
    http://oshotheone.blogspot.com

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  9. maine kaha na tha ki aap koshish to kariye.. kavita to apne aap kaise foot padee hai aap khud hee dekh rahi hongeen..

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  10. यहाँ तो बस एक बारिश की कमी है, बाकी सब तो ऊपर वाले की दुआ से नसीब है ही.

    सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  11. वाह! बहुत सुन्दर!

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  12. वाह क्या बात है जी

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  13. इच्छाएं यादों के घोड़ो पे सवार हो कहाँ कहाँ हो आती है..:)

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