आज ये कविता दोस्त को समर्पित ...
...
ऐ मेरे दोस्त ,क्यों होते निराश हो,
मेरे लिए तो तुम सबसे खास हो,
जगाओ अपनी आशा को,
और हटाओ निराशा को,
जियो--कि सब ऐसे ही जीते है,
हंसी के गिलास में गम पीते है,
जिंदगी से लड़ने वाले तुम अकेले नहीं हो,
खुशी मनाओ कि भीड़ में खड़े हो,
ठोकर जो लग गई --
तो चलना सीख जाओगे ,
और सांस जो रुक गई--
तो जीना सीख जाओगे .....
सीख देती सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteजीना इसी का नाम है।
ReplyDeleteक्या बात है , लाजवाब और बेहतरिन रचना लगी ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसमय पर एक ही ठोकर
बदल देती है जीवन को...!
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteaek bebs or haare hue insaan ko himmt or jine ki klaa sikhaane kaa achchaa triqaa he khuda ise aamyaab kre or niraashaavaaadiyon ko aashaavaadi bnaa de. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteये अच्छी अभिव्यक्ति लगी !शुभकामनायें
ReplyDeletekaash!!! aap sa dost har kisee ko mile
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.
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