शब्द ने कहा भावों से
आया हूँ उबड़ खाबड़ राहों से
कहीं भाव बिखरे पड़े हैं
तो कहीं शब्द छिटके पड़े हैं
हम बनेंगे नहीं मीत
तो बताओ बनेंगे कैसे गीत
होता है जब माहौल रूहानी
तभी तो बनती है कोई कहानी
मैं अकेला कुछ नहीं कर पाउंगा
तुम साथ नहीं दोगे तो मर जाउंगा
आकर पास जरा मेरी तरफ़ देख
मिलकर बना लें हम कोई लेख
मिलन की खुशबू से
भीगो दें हम अपनी सविता
और शायद फ़िर हमारे प्यार से
जन्म ले कोई कविता ...
सुंदर भावों से सजी सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteहर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए
कविता के स्रजन का नया माध्यम , सुंदर रचना , बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteकविता के ऊपर ही कविता तो अच्छी बनी है.. :)
ReplyDeleteवाह , क्या बात है ,क्या बात है ,
ReplyDeleteक्या बात है ....
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDelete--
कविता पढ़कर आनन्द आ गया!
भावों की तरलता में कविता जन्म लेने को तैयार रहती है।
ReplyDeleteक्या बात है, क्या बात है, क्या बात है.......कविता तो बन गई, क्या बात है!
ReplyDeleteअति सुंदर रचना, धन्यवाद
ReplyDeleteबस तभी से भाव शब्दों के भीतर बसते हैं !
ReplyDeletesundar bhaav ...sundar rachna.
ReplyDeleteशब्द और भाव का लाजबाब तालमेल !
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
sundar abhivyakti
ReplyDeleteबहूत सुन्दर रचना .शब्दो को अच्छा पिरोय हे.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ....
ReplyDeleteपहली बार पढ़ा कविता को कविता में ढलते हुए....
बहुत अच्छा लगा
क्या बात है.......कविता तो बन गई,
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