न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
मधुर स्वर से सुसज्जित सुन्दर गज़ल
वाह वाह मधुरम ओर सुंदरम
बहुत मधुर, सदैव की भाँति।
अर्चना जी!दीपक मशाल जी की सुन्दर गजल को आपने अपने स्वर से धन्य कर दिया है!--गजलकार और गायिकादोनों को बधाई !
बढ़िया प्रस्तुति...गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं...
गजलकार और गायिकादोनों को बधाई !
मासी आभारी हूँ इस नाचीज की ग़ज़ल को अपनी बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए..
शब्द और स्वर दोनों मान को छूने वाले हैं । आप दोनों को बधाई..... गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ।
बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए.....गजलकार और गायिकादोनों को बधाई !
ग़ज़ल भी अच्छी है और आवाज़ भी मधुर...........बहुत सुन्दर धुन है...........आपको बधाई..........
मधुर स्वर से सुसज्जित सुन्दर गज़ल
ReplyDeleteवाह वाह मधुरम ओर सुंदरम
ReplyDeleteबहुत मधुर, सदैव की भाँति।
ReplyDeleteअर्चना जी!
ReplyDeleteदीपक मशाल जी की सुन्दर गजल को
आपने अपने स्वर से धन्य कर दिया है!
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गजलकार और गायिका
दोनों को बधाई !
बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं...
गजलकार और गायिका
ReplyDeleteदोनों को बधाई !
मासी आभारी हूँ इस नाचीज की ग़ज़ल को अपनी बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए..
ReplyDeleteशब्द और स्वर दोनों मान को छूने वाले हैं ।
ReplyDeleteआप दोनों को बधाई..... गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ।
बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए.....
ReplyDeleteगजलकार और गायिका
दोनों को बधाई !
ग़ज़ल भी अच्छी है और आवाज़ भी मधुर...........बहुत सुन्दर धुन है...........आपको बधाई..........
ReplyDeleteग़ज़ल भी अच्छी है और आवाज़ भी मधुर...........बहुत सुन्दर धुन है...........आपको बधाई..........
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