देवेंद्र जी की आवाज़ बहुत अच्छी है, लेकिन गला खोल कर गाएँ तो और ख़ूबसूरत असर पैदा होगा. शब्दों के अंत तक जाते जाते आख़ीरी शब्द गुम हो जाता है. हर रात यादोंकी बारात ले आए में आखिरी त नहीं खुलकर आता. अच्छा लगा. पहले अंतरे सए पहले उनके गला साफ करने की भी आवाज़ सुनाई दी. बिना म्यूज़िक के मैं के गाए सारे गाने आनंदित करते हैं.सुरों की कमी सलिल दा के गाने न जाने क्यूँ में दिखती है.
धन्यवाद शास्त्री जी,अली जी,प्रवीण जी व सलील जी । @सलील जी,आपकी बात सही है,घर पर रिकार्ड किया है ,(अगर खुल कर गाते है तो पड़ोसी परेशान हो जायेंगे)"मै" आभारी हूँ-सारे गाने पसन्द करने के लिए, गाना कभी सीखा नहीं हमने, तो सुर को समझना बहुत मुश्किल होता है फ़िर भी बस शौक है और घर में तो कोई सुनता नहीं सो----
बहुत सुन्दर गीत है!
ReplyDeleteअरे वाह...!
ReplyDeleteसारे के सारे ही सैड-साँग्स!
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मगर सभी सदाबहार हैं!
वाह, बहुत खूब।
ReplyDeleteदेवेंद्र जी की आवाज़ बहुत अच्छी है, लेकिन गला खोल कर गाएँ तो और ख़ूबसूरत असर पैदा होगा. शब्दों के अंत तक जाते जाते आख़ीरी शब्द गुम हो जाता है. हर रात यादोंकी बारात ले आए में आखिरी त नहीं खुलकर आता. अच्छा लगा. पहले अंतरे सए पहले उनके गला साफ करने की भी आवाज़ सुनाई दी. बिना म्यूज़िक के मैं के गाए सारे गाने आनंदित करते हैं.सुरों की कमी सलिल दा के गाने न जाने क्यूँ में दिखती है.
ReplyDeleteधन्यवाद शास्त्री जी,अली जी,प्रवीण जी व सलील जी ।
ReplyDelete@सलील जी,आपकी बात सही है,घर पर रिकार्ड किया है ,(अगर खुल कर गाते है तो पड़ोसी परेशान हो जायेंगे)"मै" आभारी हूँ-सारे गाने पसन्द करने के लिए,
गाना कभी सीखा नहीं हमने, तो सुर को समझना बहुत मुश्किल होता है फ़िर भी बस शौक है और घर में तो कोई सुनता नहीं सो----
सुन्दर गीत...मधुर आवाज़...
ReplyDeleteपुराने गीतों का मज़ा ही कुछ और है
Is it realy just for change
ReplyDeleteThane
nice
superb
wavaah ...!!
वेरी गुड चेंज
ReplyDeleteसुन्दर गीत...मधुर आवाज़...
ReplyDeleteपुराने गीतों का मज़ा ही कुछ और है