न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
आशा का सन्देश देती हुई!--बहुत खूबसूरत क्षणिका है!
"मिल लूँ बस एक झलक पलक झपकते ही उसे...शायद फिर कभी पलक झपकने का बहाना हो ना हो "बहुत बढ़िया
हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन हैकुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
बेहतरीन भाव ...हर एक दिल में कभी न कभी ऐसी भावनाएं जागती हैं ! दिल से निकली हुई आवाज लगती है यह !
बहुत बड़ी ख्वाहिश है आपकी ...एक झलक में फलक भी समेट सकते हैं हम अपने अंतर्मन में !
अर्चना जी,आप पलक झपकने का बहाना सोचियो कईसे सकती हैं, यहाँ तो लोगों का कहना है किकागा सब तन खाइयो, चुन चुन खाइयो माँसदो नैना मत खाइयो, जिन्हे पिया मिलन की आस!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद
इस छोटी सी कविता में पूरा उपन्यास समाया हुआ है। ...बहुत सुंदर कविता।
वाह क्या बात कह दी………………गज़ब कर दिया।
आशा का सन्देश देती हुई!
ReplyDelete--
बहुत खूबसूरत क्षणिका है!
"मिल लूँ बस एक झलक पलक झपकते ही उसे...
ReplyDeleteशायद फिर कभी पलक झपकने का बहाना हो ना हो "
बहुत बढ़िया
हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
ReplyDeleteकुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
बेहतरीन भाव ...हर एक दिल में कभी न कभी ऐसी भावनाएं जागती हैं ! दिल से निकली हुई आवाज लगती है यह !
ReplyDeleteबहुत बड़ी ख्वाहिश है आपकी ...एक झलक में फलक भी समेट सकते हैं हम अपने अंतर्मन में !
ReplyDeleteअर्चना जी,
ReplyDeleteआप पलक झपकने का बहाना सोचियो कईसे सकती हैं, यहाँ तो लोगों का कहना है कि
कागा सब तन खाइयो, चुन चुन खाइयो माँस
दो नैना मत खाइयो, जिन्हे पिया मिलन की आस!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद
ReplyDeleteइस छोटी सी कविता में पूरा उपन्यास समाया हुआ है। ...बहुत सुंदर कविता।
ReplyDeleteवाह क्या बात कह दी………………गज़ब कर दिया।
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