जो कुछ चाहो , वो मिल ही जाए ,
ऐसा कभी नही होता है ।इसलिए जो कुछ मिले ,
उसे " चाह " लेना ही ठीक है ।
जो कुछ सीखो , सब आ जाए,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ आ जाए ,
उससे ही " सीख " लेना ठीक है ।
जो कुछ लिखा है , वो सब पढ लिया हो ,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ पढ लिया हो ,
उसे ही " याद रख लेना " ठीक है ।
जो कुछ सुना , सब समझ लिया ,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ " समझा " ,
उसे ही " कर " लेना ठीक है।
जो कुछ बोला , सब काम का हो ,
जरूरी नही होता है ,
लेकिन बडों की कही हर बात को ,
शान्ति से " सुन " लेना ठीक है ।
जो कुछ खो गया , वो फ़िर से मिल जाए ,
ऐसा हमेशा नही होता है ,
इसलिए जो मिल गया ,
उसे ही " सहेज " लेना ठीक है ।
खुशी और गम , किसी के पास ज्यादा होते है ,
किसी के पास कम ,
इनको समान करने के लिए ,
आपस मे " बांट " देना ही ठीक है ।
किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति ,
कभी परिपूर्ण नही होता है ,
इसलिए हर छोटे- बडे की कही बात पर ,
" ध्यान " देना ही ठीक है ।
कोई भी संस्कृति या धर्म ,
किसी को बुराई नही सिखाता ,
इसलिए हर धर्म और संस्कृति को ,
हमेशा " मान " देना ही ठीक है ।
ठीक है.......
ReplyDelete@ आदरणीय अर्चना जी बोलने की जरुरत ही नहीं
ReplyDeleteसुंदर सन्देश देती देती एक........... सुंदर रचना
सीख देती बढ़िया रचना
ReplyDeleteतृणादपि सुनीचेन,...
ReplyDeletethik hai...
ReplyDeleteacchi rachna hetu badhai!
2.5/10
ReplyDeleteआप जैसों के आगे ही तो उस्तादी बंगले झाँकने लगती है.
जब आपने पहले ही माईक लगाकर घोषणा कर दी कि आपको कविता, कहानी, ग़ज़ल, लेख के बारे में कुछ नहीं पता तो मेरा भला यहाँ क्या काम ? लेकिन क्या करूँ बुरी आदतें जल्दी कहाँ छूटती हैं :)
bahut khoobsurat aut sateek baat kahi hai
ReplyDeleteइस पुरानी पोस्ट का जवाब नही!
ReplyDeleteइसीलिए तो चर्चा मंच पर चुरा लिया है इसे!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/313.html
ji bilkul thik kaha aapne
ReplyDeleteअति सुंदर संदेश दिया आप ने इस कविता के रुप मे धन्यवाद
ReplyDelete... bahut sundar ... behatreen !!!
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