बहुत कोशिश करती हूँ पर हर दिवाली मे उसका चेहरा जैसे आँखो के सामने से हटने का नाम नहीं लेता....बात करीब १९/२० साल पहले की है ...राँची में रहते थे हम....काली पूजा देखने गई थी ये पहला मौका था ,पति और दोनों बच्चे साथ थे , बेटे का हाथ पिता ने थाम रखा था, और मेरी बेटी गोदी में थी मेरे । हम बड़ी उत्सुकता से एक के बाद एक पंडाल देखते जा रहे थे ।बहुत भीड़ थी, पास से एक ट्रक गुजर रहा था ड्राइवर और क्लीनर के बीच में बैठे देखा था उसे ....७-८ साल, करीब मेरे बेटे की उम्र का बच्चा था...बदन पर सिर्फ़ एक नेकर...और जो कुछ मैने देखा उसे आज तक किसी को बता नहीं पाई थी सिर्फ़ इसलिये कि मेरे बच्चे इस घटना को जानकर डर न जायें.(एक बार जिक्र भी किया है--कुछ अधूरा -सा ---- संजय अनेजा जी की पोस्ट को पढ़कर उनके ब्लॉग पर )(आभार संजय जी का इसे पढ़ते ही याद दिलाया उन्होने ) .किसी फ़िल्म के दॄश्य जैसा था वो दॄश्य...(अमिताभ जी की कोई फ़िल्म थी )...बच्चे के दोनों हाथ बंधे हुए थे और उसके मुंह और सिर पर बारी-बारी शराब उंडेल रहे थे वे दोनों.और बच्चा पता नहीं कबसे उनके चंगुल में था..शराब मुंह मे न जा पाने के कारण बैचैन था..बार -बार खड़ा होता फ़िर वहीं सिट पर गिरता और वे दोनों हँसते ....अब भी याद आती है उसकी ,सोचती हूँ पता नहीं किसका बच्चा होगा वो........अब कहाँ होगा?...होगा भी या नहीं ?.....और होगा तो किस हाल में?....और मैं उस समय मूक क्यों बनी रही ???ये सवाल मुझे सोने नहीं देते .....हर साल वो याद आता है और मैं अपने -आपको कटघरे में पाती हूँ....काश मैं उसके लिए कुछ कर पाती ...
इस तरह के लोगों से दुनियां भरी है. अब बस भगवान अलावा कौन दुनिया को सुधारेगा.
ReplyDeleteआप का दोष अनदेखा करने का आप समझ रहीं हैं लेकिन दोषी तो दुनियां है
ReplyDeleteab to yah roj ki ghtnaayen hain , kahin jabardasti, to kahin khud ki marji se kuchh bachchhe aaj yah kar rahe hain, yah is desh ka durbhagya hai, aapko aatmglani nahin honi chahiye , kyonki is desh main rahne baala har aadmi doshi hai , kaaran har koi apni aankhon se kuchh naa kuchh galat dekhta hai par virodh nahin karta
ReplyDeleteवहशियाना !
ReplyDeleteमार्मिक संस्मरण। शुभकामनायें।
ReplyDeleteकई बार देखा सच मर्म को छू गई ये बात
ReplyDeletemaarmik...dardanaak sansamaran.
ReplyDeleteus samay to kuch nahi kiya lakin ab aap aaisa kuch bhee dekhe to turent action le.
ReplyDeleteDARDNAAK HAI BAHUT........
ReplyDeleteDARDNAAK HAI BAHUT........
ReplyDeleteबीती से सबक लेना उसका पर्याप्त प्रायश्चित है
ReplyDeleteदर्दनाक घटना. सुन्दर गीत.
ReplyDeleteमार्मिक, ऐसे घृणित व्यक्तित्वों से समाज को मुक्त कराना है।
ReplyDeletewe must not fall prey to our regrets rather learn and keep working in the very motive of nature.
ReplyDeleteCan't even think of ! If you don't repeat the same in life that wll definitely give peace to ur mind !
ReplyDeleteFeeling sorry for the kid and you both :(
अर्चना जी! मेरे मित्र सुशील जी ने वह घटना सिर्फ मुझे बताई थी!! बाकी लोग तो उनको पागल ही समझते थे!! मैं सुनकर पागल हो गया था,तो जिसने देखा होगा उसका क्या, उसे तो जीवन भर का रोग लग गया!!
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