Thursday, November 11, 2010

माँ कैसी होती है ???



पहले सुबह उठकर
सपने बुनती थी
अब सपने सोचकर ही
रोज सोती है
माँ ऐसी ही होती है।
पहले खोई रहती थी
सपनों में
अब सपनों के
खोने से डरती है
माँ ऐसी ही होती है  ....   



5 comments:

  1. बेहद सुंदर..... माँ से जुड़ा हर ख्याल अच्छा लगता है ..... यह भी मन को छू गया

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  2. सच मां जिसे कल याद कर सोया सुबह बेहद हल्की और अब तक की सबसे सुन्दर सुबह थी

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  3. तूने तो मेरे दिल कि बात शब्दो मे उतार दी.

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  4. अर्चना जी नमस्कार.
    भावपूर्ण कविता है. मन को चुने वाली.सचमुच मन की याद दिलाती हुई.

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  5. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!

    हाँ, माँ ऐसी ही होती है।

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