न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
बेहद सुंदर..... माँ से जुड़ा हर ख्याल अच्छा लगता है ..... यह भी मन को छू गया
सच मां जिसे कल याद कर सोया सुबह बेहद हल्की और अब तक की सबसे सुन्दर सुबह थी
तूने तो मेरे दिल कि बात शब्दो मे उतार दी.
अर्चना जी नमस्कार.भावपूर्ण कविता है. मन को चुने वाली.सचमुच मन की याद दिलाती हुई.
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!हाँ, माँ ऐसी ही होती है।
बेहद सुंदर..... माँ से जुड़ा हर ख्याल अच्छा लगता है ..... यह भी मन को छू गया
ReplyDeleteसच मां जिसे कल याद कर सोया सुबह बेहद हल्की और अब तक की सबसे सुन्दर सुबह थी
ReplyDeleteतूने तो मेरे दिल कि बात शब्दो मे उतार दी.
ReplyDeleteअर्चना जी नमस्कार.
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता है. मन को चुने वाली.सचमुच मन की याद दिलाती हुई.
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteहाँ, माँ ऐसी ही होती है।