तारीखें हमेशा दर्ज हो जाती है...जेहन में...
फ़िर उठती है सिहरन...... मन में.....
काँपती है रूह अब भी......तन में.....
फ़िर बितेगी रात बस.....चिंतन में......
फ़िर उठती है सिहरन...... मन में.....
काँपती है रूह अब भी......तन में.....
फ़िर बितेगी रात बस.....चिंतन में......
sabhi geet badiya
ReplyDeleteअर्चना जी,
ReplyDeleteसमझ नहीं आता क्या कहा जाये। लेकिन यह सच है कि यादों का भी अपना सहारा होता है!
badhiya geet...aabhaar
ReplyDeleteसभी गहरे गीत।
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