न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Monday, December 13, 2010
एक जरूरी संदेश......जनहित में जारी
डॉ.टी.एस. दराल जी के ब्लॉग से --------------एक ई- मेल का हिन्दी अनुवाद
अगर आप इसे औरों तक पहुँचाना चाहें तो प्लेयर को डाउनलोड करके अपने ब्लॉग पर लगा सकते हैं...
स्मॄति शेष----- एक भजन रचना की आवाज में
डॉ दराल की मार्मिक और दर्दनाक सन्देश देती रचना ! इतनी बेहतरीन रचना को स्वरबद्ध करने के लिए आपका आभार
ReplyDeleteधन्यवाद इस रचना के लिये, कृप्या आप अपना पुरा नाम देती तो अच्छा होता,
ReplyDeleteऑडियो सुनने में समस्या हो रही है।
ReplyDeleteयह तो प्रबन्धन की बड़ी अच्छी सीख है।
ReplyDeleteउपयोगी सन्देश सुनाने के लिए बधाई!
ReplyDeleteउपयोगी सन्देश
ReplyDeleteआभार।
ReplyDelete---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
उपयोगी जानकारी के लिए आपका आभार.
ReplyDeleteइस सन्देश से रूबरू करवाने के लिए आभार... बहुत उपयोगी
ReplyDeletevery beautiful , made me cry when I listened in your voice .
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