Monday, February 28, 2011

आओ ...बस दो पल....साथ बैठें...

चलो कुछ ऐसा याद करें कि- दिल खुश हो जाए
बीती हुई कोई बात करें कि- दिल खुश हो जाए
जब हम छोटे थे तो मस्ती और खुशी
हमारे ही साथ रहते थे
मुस्कान और हँसी के झरने
हमारे आसपास ही बहते थे
दु:खों का तो कोई नाम न था
हमको भी उनसे कोई काम न था
चलो कुछ ऐसा याद करें कि-खुशियाँ कम न हो 
दो पल बैठ बीती बात करें-जिसमें कोई गम न हो....

9 comments:

  1. ऐसे पल की करूँ प्रतीक्षा।

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  2. दिल ढूँढता है फिर वही फुरसत के चार पल।

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  3. बहुत सुंदर, धन्यवाद

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  4. khoobsoorat rachna...
    mera bachpana abhi baaki hai :)..lekin fir bhi wo shuddh aur pyara... khushnuma bachpan yaad dila diya aapne. shukriyaaa. :)

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  5. बचपन के दिन भी क्या दिन थे
    उड़ते फिरते तितली बन!!

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  6. चलो कुछ ऐसा याद करें कि- दिल खुश हो जाए
    बीती हुई कोई बात करें कि- दिल खुश हो जाए

    बहुत सुंदर, धन्यवाद..........

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  7. दो पल बैठ बीती बात करें-जिसमें कोई गम न हो....

    sach main is daur main insaan bas yahi chahta hai.

    accha likha

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