Saturday, March 26, 2011

बड़ी फ़ुरसत से पढ़ी फ़ुरसतिया जी की पोस्ट --------फ़ुरसत निकाल कर ही सुनें...

 आज पढ़ ही ली फ़ुरसत निकाल कर फ़ुरसतिया जी की ये पोस्ट
एक बानगी----
"इस बीच तमाम अक्षर आते जा रहे हैं! छोटी ई और बड़ी ई मिलकर या अकेले जैसी मांग हो उसके अनुसार उनकी सेवा करती जा रही हैं। सेवाकार्य पूरा करते ही फ़िर लड़ने लगती- जैसे कि क्रिकेट खिलाड़ी गेंद फ़ील्ड करके च्युंगम चबाने लगाते हैं।"

"कोई शब्द बन-ठन के आया था छोटी ई और बड़ी ई की सेवायें पाने के लिये। बना-ठना तो था ही। जित्ता बना-ठना था उससे ज्यादा अकड़ रहा था। ऐसे जैसे कहीं से फ़्री का कलफ़ लगवा के आया हो!"

"क्या पता खूब सारे स्त्रीलिंग शब्द रहे हों लेकिन उनको उसी तरह मिटा दिया गया हो जिस तरह आज लड़कियों की संख्या कम होती जा रही है। क्या पता शायद वर्णमाला का निर्धारण किसी मर्दानी सोच वाले ने लिया और स्त्रीलिंग ध्वनियों को अनारकली की तरह इतिहास में दफ़न हो कर दिया हो।"

 सुनें यहाँ ---


और पढें यहाँ।

12 comments:

  1. वाह, पढकर आनन्द आ गया।

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  2. inoko to hum blogwood rupi vyanjan me
    namak ki tarah mante hain........

    pranam.

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  3. बड़ी फ़ुरसत से सुनी फ़ुरसतिया जी की पोस्ट फ़ुरसत निकाल कर ही दी आप को ओर फ़ुरसतिया जी को टिपण्णी, मस्त लगी जी

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  4. अनुमति बड़ी फ़ुरसत में दी होगी उनने

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  5. बहुता सन्नाट पोस्ट है एक दम झमझौआ लिखे हैं ..फ़ुरसत में

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  6. This comment has been removed by a blog administrator.

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  7. बहुत बढिया पोस्ट का चयन किया है आपने. अनूप जी की बेहतरीन पोस्टों में से एक है ये. सुन्दर आवाज़ में सुन्दर पोस्ट. बधाई.

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  8. मौऊज आ गईस
    फुर्सत में ही सुना

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  9. शानदार लेखन और सुंदर आवाज का बेहतरीन समन्वय

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  10. ज्यादातर पोस्ट अनूप भाई की तरह ही मस्त होतीं हैं ! अनूप भाई की अनुपम पोस्ट पढवाने और सुनवाने के लिए आभार !!

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  11. इस पोस्ट को अपनी आवाज देने का आभार।

    संयोग कि मेरी श्रीमतीजी ने आपकी आवाज में ही इस पोस्ट को पहली बार। आमतौर पर वे मेरी पोस्टें पढ़ती नहीं हैं लेकिन आपकी आवाज में इस पोस्ट को पूरा सुन गयी। इसके लिये आपको डबल आभार। :)

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  12. आनन्द आया ..सुन कर ..

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