आज अचानक पुराना सामान इधर-उधर करते समय एक बहुत पुराना फोटो हाथ आया...और ले गया मुझे अपने साथ उस कमरे में जहाँ वो रखा हुआ था.....
वत्सल और पल्लवी......(पापा के केमरे से..१९८९-९०)
कितनी अजीब बात है-जो बात भूलनी है वही याद रह जाती है......
निर्जीव और सजीव में कोई फ़र्क नहीं लगता...
अब मुझे लग रहा है वो टेबल सजीव हो गई है और मैं निर्जीव......
मैं खुद को रोक नही पाई.....और आ गई उस कमरे में जहाँ आज भी वो टेबल है ---लाल टेबल....
और अब वत्सल और पल्लवी---
बड़े हो गए है<............................
बड़े हो गए हैं? बच्चे ही तो हैं अभी और कितने भी बड़े हो जायें, हमेशा बच्चे ही रहेंगे।
ReplyDeleteशुभकामनायें बड़ी बड़ी:))
beshak
ReplyDeleteye hee to hota hai
शुभकामनायें इन दोनों को ....
ReplyDeleteकुछ वस्तुयें जीवन में सेतु बनाने का कार्य करती हैं।
ReplyDeleteकुछ यादें जो दिल के करीब होती हैं हमे अक्सर सजीव बना देती हैं। शुभकामनायें।
ReplyDeleteपुराने चित्रों की यादों को साझा करने के लिए आभार!
ReplyDeletebahut shubhkamnayen
ReplyDeleteयादें ऐसे ही जुडी होती हैं।
ReplyDeletesunder prayas
ReplyDeleteBHAI BAHAN HAMESHA KHUSH RAHE
ReplyDeleteयादों का क्या है ..जब तब आ जाती हैं ......वत्सल और पल्लवी जी खुश रहें यही कामना है ....!
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीरें हैं, ढेरों शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteहम्म!! यादों का एक सिरा रुका हुआ...और फिर आगे बढ़ती जिन्दगी....इस पुल पर टहलना....मन को कहाँ से कहाँ ले जाता है.
ReplyDeletewaqt ka pahiya hai chalta rahega...
ReplyDeleteचित्र बहुत सुंदर लगे,साथ मे सुंदर यादे जी धन्यवाद हमारे साथ बांटे के लिये
ReplyDeleteसमय अपनी रफ़्तार से चलता है, सहसा देखते-देखते बहुत कु्छ बदल जाता है। यादें जीवन के साथ जुड़ जाती हैं। वत्सल और पल्लवी को ढेर सारा आशीष। आपको शुभकामनाएं एवं बधाई।
ReplyDeleteसुंदर यादों को लिए तस्वीर भी सुंदर .....दोनों बच्चों को हार्दिक शुभकामनायें
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