Monday, April 25, 2011

लाल टेबल.....

आज अचानक पुराना सामान इधर-उधर करते समय एक बहुत पुराना फोटो हाथ आया...और ले गया मुझे अपने साथ उस कमरे में जहाँ वो रखा हुआ था.....

                                           वत्सल और पल्लवी......(पापा के केमरे से..१९८९-९०)

कितनी अजीब बात है-जो बात भूलनी है वही याद रह जाती है......
 निर्जीव और सजीव में कोई फ़र्क नहीं लगता...
अब मुझे लग रहा है वो टेबल सजीव हो गई है और मैं निर्जीव......
मैं खुद को रोक नही पाई.....और आ गई उस कमरे में जहाँ आज भी वो टेबल है ---लाल टेबल....



और अब वत्सल और पल्लवी---



बड़े हो गए है<............................

17 comments:

  1. बड़े हो गए हैं? बच्चे ही तो हैं अभी और कितने भी बड़े हो जायें, हमेशा बच्चे ही रहेंगे।
    शुभकामनायें बड़ी बड़ी:))

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  2. शुभकामनायें इन दोनों को ....

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  3. कुछ वस्तुयें जीवन में सेतु बनाने का कार्य करती हैं।

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  4. कुछ यादें जो दिल के करीब होती हैं हमे अक्सर सजीव बना देती हैं। शुभकामनायें।

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  5. पुराने चित्रों की यादों को साझा करने के लिए आभार!

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  6. यादें ऐसे ही जुडी होती हैं।

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  7. यादों का क्या है ..जब तब आ जाती हैं ......वत्सल और पल्लवी जी खुश रहें यही कामना है ....!

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  8. खूबसूरत तस्वीरें हैं, ढेरों शुभकामनाएँ।

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  9. हम्म!! यादों का एक सिरा रुका हुआ...और फिर आगे बढ़ती जिन्दगी....इस पुल पर टहलना....मन को कहाँ से कहाँ ले जाता है.

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  10. waqt ka pahiya hai chalta rahega...

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  11. चित्र बहुत सुंदर लगे,साथ मे सुंदर यादे जी धन्यवाद हमारे साथ बांटे के लिये

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  12. समय अपनी रफ़्तार से चलता है, सहसा देखते-देखते बहुत कु्छ बदल जाता है। यादें जीवन के साथ जुड़ जाती हैं। वत्सल और पल्लवी को ढेर सारा आशीष। आपको शुभकामनाएं एवं बधाई।

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  13. सुंदर यादों को लिए तस्वीर भी सुंदर .....दोनों बच्चों को हार्दिक शुभकामनायें

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