जून २००९ में मैंने और रचना ने एक साथ गाया था ये गीत.........बहुत मुश्किल आई थी...एक तो गाना आता नहीं था...रिकार्ड करना भी तभी सीखा था..हेडफ़ोन को हम दोनों नेबीच में पकड़ लिया था हाथ में .........और जैसे ही गाना शुरू करते हँसी भी शुरू.........ऊपर से पल्लवी और निशी भी कम नहीं थे हँसाने को...पर वो सेर तो हम भी सवा सेर .....उन्हें कमरे से बाहर निकालकर ....कम से कम .२५-३० बार कोशिश की तब हो पाया था.....
आजकल पुराने गीत ही सुन रही हूँ ...उसी में मिला....याद ताजा कर गया.............आप भी सुने ---
आजकल पुराने गीत ही सुन रही हूँ ...उसी में मिला....याद ताजा कर गया.............आप भी सुने ---
आनन्द आया सुनकर...
ReplyDeletebahut achha laga sunker
ReplyDeleteबहुत प्यारा लगता है यह गीत।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteअच्छा लगा सुनकर... ...यह गाना बहुत पसंद है...
ReplyDeleteअच्छा लगा सुनकर
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
हमे भी बहुत मधुर लगा यह गीत, धन्यवाद
ReplyDeletebahut achcha geet jindagi ki hakikat bayaan karataa hua.hame bahut achcha lagaa badhaai aapko.
ReplyDeleteplease visit my blog and leave the comments also
कभी धूप कभी छाँव ...बिलकुल सच । आपका गायन भी बहुत अच्छा लगा । शुभकामनाएँ । ब्लॉग में दाईं ओर जो लिंक है वो गाने भी सुने । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।
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