मेरे अनुज के ब्लॉग "घोंसला" से उसकी कुछ रचनाएं.....ब्लॉगर की मेहरबानी से एक बार फ़िर से ----(दो सुन चुके होंगे --दो बाकी हैं )
काश सुन पाते----
अनुभव---
न जाने क्यों----
बिटिया----
काश सुन पाते----
अनुभव---
न जाने क्यों----
बिटिया----
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और बढ़िया!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपकी आवाज़ ने राजीव जी की रचनाओं तक पहुंचाया। सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं और ‘न जाने क्यों ?‘ तो सबसे बढ़कर लगी मुझे , न जाने क्यों ?
ReplyDeletehttp://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/exploitation.html
दीदी,प्रणाम.आपने मेरी रचनाओं (जो किसी न किसी रूप में मेरा अंश है) को अपनी आवाज देकर उसे जो स्थायित्व प्रदान किया है,उसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा. आपकी आवाज में अपनी कविताओं को सुनना एक सुखद और सुकून-भरा अनुभव है मेरे लिए.
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