न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
मीना कुमारी की गज़ल.. तुम्हारी आवाज़ में और भी अच्छी लग रही है!!
क्या बात है, बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर..
बहुत ही सुन्दर। स्वर वापस आ गया है।
वाह!! आनन्द विभोर कर दिया.
भाव युक्त गजल और कर्णप्रिय स्वर लहरी!! सोने पे सुहागा!!
मीना कुमारी की गज़ल.. तुम्हारी आवाज़ में और भी अच्छी लग रही है!!
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर। स्वर वापस आ गया है।
ReplyDeleteवाह!! आनन्द विभोर कर दिया.
ReplyDeleteभाव युक्त गजल और कर्णप्रिय स्वर लहरी!! सोने पे सुहागा!!
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