Thursday, June 16, 2011

इसे कहते है ब्लॉग्गिंग ...

कुछ दिनों पूर्व एक गीत सुनवाया था आपको,--गेट वेल सून 

और उसके बाद मौके को भुनाया था -- जिन खोजा तिन पाईयां 

इस बीच एक रचना पढ़ी प्रवीन पाण्डेय जी के ब्लॉग पर ये रचना

तबियत ठीक नहीं थी  (मेरी और कंप्यूटर दोनों की ) 

अब इसका पॉडकास्ट बना नहीं पा रही थी ...ध्यान आया 'गेट वेल सून' वाला गिफ्ट..............ये ब्लॉग्गिंग किस काम की ....
..........सही पहचाना था समीर जी ने ...

और बस ये होमवर्क दिया पद्मसिंह जी को ....   ----काश तुम्हे होता ये ज्ञात  



प्रवीन जी का शुक्रिया जो पॉडकास्ट यहाँ लगाने का अधिकार दिया मुझे ..


जी हां  पाती वाली रचना और वो आवाज थी पद्मसिंह जी की...

इनकी एक रचना यहाँ भी सुन सकते है ----इनके ब्लॉग 'ढिबरी 'पर 

अब आप ये बताइए की इनकी आवाज में और गीत सुनना चाहेंगे या नहीं ?.....

7 comments:

  1. बिल्कुल....और सुनवाईये पद्म की आवाज में भी और फिर आपकी आवाज में भी/....

    ReplyDelete
  2. बेशक!! अतिमोहक , आवाज तो पद्म जी की और आपकी दोनो की कर्णप्रिय है।

    ReplyDelete
  3. मन्त्रमुग्ध करने वाला स्वर और राग, यह रचना सु मैं स्वयं अभिभूत हो गया।

    ReplyDelete
  4. अरे वाह!
    पद्मसिंह जी की आवाज तो बहुत मधुर है!

    ReplyDelete
  5. पद्मसिंह हरफनमौला हैं ! शुभकामनायें आपको !!

    ReplyDelete
  6. नेकी और पूछ पूछ!! पद्म सिंह जी से बड़ी मुख़्तसर सी मुलाक़ात हुई है!! गंभीर लगे मुझे वे तो!!

    ReplyDelete