माँ....बच्चे के मन की हर बात को वो पहले से ही जान जाती है ...... माँ के न होने का अहसास ही सिहरन पैदा कर देता है...किसी भी उम्र के हो जाएं अगर माँ है तो बचपन जिंदा रहता है......और प्राकॄतिक आपदाओं मे अपनों को खोना वैसे भी दुखद होता है.....और वो माँ हो तो ..............."सुनामी". मे अपनी माँ को खो चुके बच्चे की भावनाओं को व्यक्त करते हुए समीर लाल "समीर" जी का एक गीत ‘माई’ पढ़ा /सुना ....और खुद महसूस किया-------
(एडिट किया पद्मसिंह जी ने)
(एडिट किया पद्मसिंह जी ने)
सिरहन सी दौड़ जाती है शरीर में ये सोच कर की , " यदि दुनिया में माँ और बहन का रिश्ता न होता तो दुनिया का क्या होता "
ReplyDeleteसिरहन सी दौड़ जाती है शरीर में ये सोच कर की , " यदि दुनिया में माँ और बहन का रिश्ता न होता तो दुनिया का क्या होता " विजय पाटिल
ReplyDeleteएक माँ के स्वर ने इस इस कविता को आत्मा प्रदान की है!! मुझे फख्र है कि वो माँ मेरी छोटी बहन है!!
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक गीत!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपके स्वर में सुनना..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना जिसे अर्चना जी के स्वर ने जीवंत कर दिया..
ReplyDeleteसमीर जी यह रचना उनके ब्लॉग पर पढ़ी तब भी मन भर आया था ...... आपने भी इस हृदयस्पर्शी रचना को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया ....आभार
ReplyDeleteअभूतपूर्व प्रस्तुति, सुनामी की विपदा से पीड़ित परिवार देख चुके हैं अतः दुख बहने लगता है।
ReplyDeleteadbhut, preranaaspad rachana.
ReplyDeleteThe poem creates generalization (catharsis,emotional release )an experience or feeling of spiritual release and purification brought about by an intense emotional experience . The presentation reverberates in harmony with meaning and melody of presentation .I am sorry ,transliteration is non -operative at this point of time .
ReplyDeleteमार्मिक रचना। सही कहा सलिल जी ने, गीत को आत्मा दे दी है आपकी आवाज ने, असर बढ़ गया है।
ReplyDeleteसच में सुन कर मन भर आता है ...
ReplyDeleteपरदेस में रहती हूँ, माँ से दूर...बहुत दूर...कई सालों से दूर...स्कूल के बाद से ही दूर..सच कहूँ तो आपके शब्दों को पढ़ने के बाद पौडकास्ट सुनने की हिम्मत नहीं हुई..और शायद कभी हो भी नहीं पाएगी.
ReplyDeleteमैंने बस पढ़ा, स्तुति जी की ही तरह, सुनने की हिम्मत मेरी भी नहीं हुई।
ReplyDeleteआप सबके स्नेह का आभार. किसी का दिल दुखाया हो तो क्षमाप्रार्थी.
ReplyDeleteसमीर जी,
ReplyDeleteएकदम सही कहा है कि किसी भी उम्र के हो जायें
अगर मां है तो बचपन जिंदा रहता है.....