Monday, April 30, 2012

मेरा आकाश ..मेरी आकांक्षा...

ये जो बादलों के टुकड़े हैं,उन्हें पकड़ना है
न जाने कितनी दूर से समेटना है
कुछ इतने भारी कि जगह से न डिगते
कुछ इतने हलके कि जगह पर न टिकते
रह रह कर जब वो उनको निरखती
सोचती,रूकती, फ़िर दौड पड़ती
तभी उसकी अपनी कुछ बूँदें बरसती
जब कभी वो हँसती,किसी को भिगोती
नहीं कोई किस्सा न कोई कहानी
हकीकत है ये,मेरी खुद की जुबानी
काश इन बादलों को जल्द ही मना लूं
जल्द ही अपने आगोश में छुपा लूं
साथ लूं सबको और रुक जाउं
साथ ही बरसूं और सुकूं पाउं....

15 comments:

  1. kash ek tukra aasman ho mera:)....
    fir ye badal ye paani sab me ho hamari kahani...:)
    behtareen rachna...

    ReplyDelete
  2. 'काश' ... अपने आप मे ही काफी सुकून देने वाला शब्द है ... 'काश' ... और जब काश साथ हो तो बादलों को पाना क्या मुश्किल है !

    ReplyDelete
  3. बादलों में जहाँ भर का जल समाया है, जीवन का बल समाया है।

    ReplyDelete
  4. तथास्तु ...
    काश बादल पकड़ में आ जाएँ

    ReplyDelete
  5. काश ऐसा होता ,काश ऐसा होता .काश वक़्त थम जाता .
    काश वैसा ही होता जैसा हम सोचते हैं .
    मन की उड़ान .............और एक खुला आसमान ...

    ReplyDelete
  6. बढिया भावाभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  7. बहुत खूबसूरत और स्वप्निल अभिव्यक्ति... सुंदर

    ReplyDelete
  8. निदा साहब ने क्या खूब कहा है:
    छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार,
    आँखों भर आकाश है बाहों भर संसार!
    और यह कविता भी ऎसी ही अभिव्यक्ति लगी मुझे!!

    ReplyDelete
  9. ये मनुहार दिल को लुभा लेने वाली है.

    सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  10. बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन


    सादर

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर अलग सी कविता । बारिश के मन को भी पढ लिया आपने ।

    ReplyDelete
  13. ये बादल मन के साथ सपने भी उड़ा ले जाते हैं .. हाथ नहीं आते हैं ...

    ReplyDelete