ये जो बादलों के टुकड़े हैं,उन्हें पकड़ना है
न जाने कितनी दूर से समेटना है
कुछ इतने भारी कि जगह से न डिगते
कुछ इतने हलके कि जगह पर न टिकते
रह रह कर जब वो उनको निरखती
कुछ इतने भारी कि जगह से न डिगते
कुछ इतने हलके कि जगह पर न टिकते
रह रह कर जब वो उनको निरखती
सोचती,रूकती, फ़िर दौड पड़ती
तभी उसकी अपनी कुछ बूँदें बरसती
जब कभी वो हँसती,किसी को भिगोती
नहीं कोई किस्सा न कोई कहानी
हकीकत है ये,मेरी खुद की जुबानी
काश इन बादलों को जल्द ही मना लूं
जल्द ही अपने आगोश में छुपा लूं
साथ लूं सबको और रुक जाउं
साथ ही बरसूं और सुकूं पाउं....
तभी उसकी अपनी कुछ बूँदें बरसती
जब कभी वो हँसती,किसी को भिगोती
नहीं कोई किस्सा न कोई कहानी
हकीकत है ये,मेरी खुद की जुबानी
काश इन बादलों को जल्द ही मना लूं
जल्द ही अपने आगोश में छुपा लूं
साथ लूं सबको और रुक जाउं
साथ ही बरसूं और सुकूं पाउं....
kash ek tukra aasman ho mera:)....
ReplyDeletefir ye badal ye paani sab me ho hamari kahani...:)
behtareen rachna...
'काश' ... अपने आप मे ही काफी सुकून देने वाला शब्द है ... 'काश' ... और जब काश साथ हो तो बादलों को पाना क्या मुश्किल है !
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteबादलों में जहाँ भर का जल समाया है, जीवन का बल समाया है।
ReplyDeleteतथास्तु ...
ReplyDeleteकाश बादल पकड़ में आ जाएँ
काश ऐसा होता ,काश ऐसा होता .काश वक़्त थम जाता .
ReplyDeleteकाश वैसा ही होता जैसा हम सोचते हैं .
मन की उड़ान .............और एक खुला आसमान ...
बढिया भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत और स्वप्निल अभिव्यक्ति... सुंदर
ReplyDeleteनिदा साहब ने क्या खूब कहा है:
ReplyDeleteछोटा करके देखिये जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है बाहों भर संसार!
और यह कविता भी ऎसी ही अभिव्यक्ति लगी मुझे!!
ये मनुहार दिल को लुभा लेने वाली है.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
बहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
kaash ...
ReplyDeleteit is an all encasing word ....
बहुत सुंदर अलग सी कविता । बारिश के मन को भी पढ लिया आपने ।
ReplyDeleteये बादल मन के साथ सपने भी उड़ा ले जाते हैं .. हाथ नहीं आते हैं ...
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