Friday, May 18, 2012

आँखों की जबां...

ये सच है कि आँखें बोल देती हैं,
गर इश्क की जबाँ न हुई तो क्या हुआ ...

मिले हैं राहों में दोस्त सुकूं के लिए
गर जो हमारा कोई  न हुआ तो क्या हुआ...

निभा तो जाएंगे रस्में सारी हम
गर जमाने का दस्तूर न हुआ तो क्या हुआ....

6 comments:

  1. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  2. बहुत खूब, अपनी शर्तों पर जीने की शर्त है बस..

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  3. वाह ...बहुत ही बढि़या ... आभार ।

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  4. खूबसूरत अहसास सुंदर शब्दों की माला सुंदर कविता

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  5. बेहतरीन रचना
    अरुन (arunsblog.in)

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