न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
कभी कभी चुपचाप रह कर भी कितनी सारी बातें कर लेते है हम लोग ... है न ???
अद्भुत अकल्पनीय . .सागर में गागर समां दी आपने ,
मौन का संवाद गहरा होता है..
मौन का संवाद ...बहुत खूब
बिना बोले सब कुछ सुनना ... बहुत बढिया।
अंतस को सुनना .. कहना किससे
मौन का मुखर स्वर.. बढ़िया कविता...
वे कुछ पल कभी-कभी ऐसे अनमोल खजाने के रूप में मिलते हैं कि सारा जीवन भी वह पूंजी शेष नहीं होती..
कैसी आवाज आई?? छन छन...छन्ना छन...?
बिना बोले ही इतना कुछ कह गए वो ...बहुत खूब ...
खामोशी के वे पल बडे अनमोल होते हैं । बहुत सुन्दर ।
खुद से खुद का वार्तालाप...बहुत सुंदर,
सुन्दर ,चुप रहकर भी सब कहना..:-)
कभी कभी चुपचाप रह कर भी कितनी सारी बातें कर लेते है हम लोग ... है न ???
ReplyDeleteअद्भुत अकल्पनीय . .सागर में गागर समां दी आपने ,
ReplyDeleteमौन का संवाद गहरा होता है..
ReplyDeleteमौन का संवाद ...बहुत खूब
ReplyDeleteबिना बोले सब कुछ सुनना ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteअंतस को सुनना .. कहना किससे
ReplyDeleteमौन का मुखर स्वर.. बढ़िया कविता...
ReplyDeleteवे कुछ पल कभी-कभी ऐसे अनमोल खजाने के रूप में मिलते हैं कि सारा जीवन भी वह पूंजी शेष नहीं होती..
ReplyDeleteकैसी आवाज आई?? छन छन...छन्ना छन...?
ReplyDeleteबिना बोले ही इतना कुछ कह गए वो ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
खामोशी के वे पल बडे अनमोल होते हैं । बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteखुद से खुद का वार्तालाप...
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
सुन्दर ,चुप रहकर भी सब कहना..
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