माँ के साथ हम पाँच
माँ के साथ हम सब
इस रचना को लिखा और गाया देवेन्द्र ने है, जो सबसे आगे बैठा है ..... :-)
बड़े अच्छे लगते हैं...
ये धरती, ये नदिया ,
मेरे पापा और तुम........ बड़े अच्छे लगते हैं...
माँ की बातें, माँ की रातें, याद रहेगी हमको,
मन की बातें, माँ ही जाने, आँच लगे जब हमको,
बड़े अच्छे लगते हैं...
वो निंदिया, वो लोरी ,
वो गोदी और तुम...........बड़े अच्छे लगते हैं..
माँ बिन है ये,घर ही सूना,सूना-सुना जग है,
माँ हैं तो फ़िर, सारी खुशियाँ,माँ का आँचल सब है,
बड़े अच्छे लगते हैं...
वो ममता, वो आँचल,
वो सपने और तुम.............बड़े अच्छे लगते हैं...
माँ ही है जो हमको पाले,भूले अपने छाले,
कर बैठे हम, भूल कभी भी, माँ ही हमें संभाले,
बड़े अच्छे लगते हैं
वो चप्पी, वो पप्पी,
वो झप्पी, और तुम............बड़े अच्छे लगते हैं...
माँ की पूजा ही में शामिल,है जग की सब पूजा,
माँ ही मेरा, सब-कुछ है बस, और नहीं कोई दूजा
बड़े अच्छे लगते हैं...
वो भगवन, वो आँगन,
वो तुलसी... और.... और तुम ...बड़े अच्छे लगते हैं...
माँ तुझे मैं याद रख सकूँ, ऐसी शक्ती देना
भूला कभी जो तुझको तो मैं, माफ़ मुझे ना करना
बड़े अच्छे लगते हैं...
वो दादी, वो नानी, वो कहानी और तुम...
बड़े अच्छे लगते हैं.....
ये धरती, ये नदिया ,
मेरे पापा और तुम........ बड़े अच्छे लगते हैं...
-देवेन्द्र पाठक
मां की लोरी, आँचल, गोदी, झप्पी, चप्पी . प्रेम का सुन्दर वर्णन . बहुत बहुत बधाई सुन्दर बोल लेखन और खुबसूरत दादी ,नानी की कहानी के लिए ...शुभ प्रभात जीवन के इन्द्रधनुषी रंगों के संग
ReplyDeleteलाजवाब! चित्र, शब्द और गायन, सभी "बड़े अच्छे" लगे। ऐसी हृदयस्पर्शी पोस्ट के लिये आप दोनों का आभार!
ReplyDeleteनिश्शब्द कट दिया.. बाँध लिया, शब्दों ने और सुरों ने!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteवाह, सबकुछ कितना सुन्दर।
ReplyDeleteभावनाओं का अनूठा संगम ...
ReplyDeleteये नया रंग अच्छा लगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अर्चना जी.............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
आपकी खुशियों में शरीक होने को जी चाहा..
सादर
अनु
Very nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
बड़े अच्छे लगते हैं ये गीत , तस्वीर , भाव , सुर !
ReplyDelete