Friday, September 21, 2012

मनाओ जश्न कि...चूर होना है...






जीवन क्या है
पानी का बुलबुला
क्षण भंगुर...

आँखों की नमी
धुंधला देती सब
हँसना होगा...

लड़ना होगा
खुद को ही खुद से
खुद के लिए...

बढ़ना होगा
निड़रता से फ़िर
बेखौफ़ होके...

धीरज रखो
दुख में भी अपने
मुस्कान लिए...

औरों के लिए
भूल कर खुद को
मनाओ जश्न....

मनाओ जश्न
कि थकना है हमे
चूर हों हम...

-अर्चना

7 comments:

  1. थक कर ही नींद आये हमें।

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  2. बहुत सही ....बेहतरीन ..रचना

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  3. सभी हाइकु बहुत सुन्दर और सार्थक संदेश देते..

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  4. प्रेरणादायी और जीवन का अर्थ बतलाती हुई,एक बेहतरीन कविता |

    सादर |

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  5. लड़ना होगा
    खुद को हो खुद से
    खुद के लिए

    मनाओ जश्न
    कि थकना है हमें
    चूर हों हम
    गजब का अंतरद्वन्द झलकता है , प्रजातान्त्रिक ढंग से संघर्ष कि नियति लेकर जीवन पथ पर अग्रसर होना
    आपका यही कथ्य और कथन ऐसे भी झलकता है कि गीतों के चयन और गायन में तब मन सोचने लगता है कि अर्चना चाव जी अच्छा गाती है कि अच्छा लिखती है या दोनों ही एक जैसा बेहतर कर लेती है .आपको पढ़ना और सुनना बहुत भाता है .

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