Sunday, November 11, 2012

कान्हा...


 ये पेंटिंग बनाई है श्रीमती विजयश्री मिश्रा जी ने जो आकाश मिश्रा  की माताजी हैं....इस पर आकाश ने कविता भी लिखी है जिसे आप उसके ब्लॉग -आकाश के पार पर पढ़ सकते हैं । और आकाश की कविता को सुन सकते हैं यहाँ --

और अब इस पेंटिंग और पॉडकास्ट के साथ सुनिये ये भजन ...जिसे उपलब्ध करवाया  है एक बेहद साधारण पाठक ने ---

9 comments:

  1. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  2. माता जी ,
    प्रणाम ,
    बहुत-बहुत आभार |

    सादर

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    त्यौहारों की शृंखला में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. खूबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  5. विषयानुसार लिखेँ....
    Ramesh
    8756046511

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  6. आपके स्वर ने इसको सुंदर से बहुत सुंदर बना दिया।

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