चलो चलें ...
वो अब हमेशा के लिए मौन रहता है
थोड़े ही वक्त में मेरी भाषा सीख गया..
मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले
सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...
वादा किया था उससे - कहा मानूंगी
रह गई हूँ अकेले, अब तक खड़ी वहीं...
चलो चलें सपनों की ओर
दूर जा चुके अपनों की ओर ...
कभी कहीं पढ़ा था ...
ReplyDeleteA friend is someone whom one can silent with.
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
चलो चलें सपनों की ओर दूर जा चुके अपनों की ओर .सुंदर भाव
ReplyDeleteRecentPOST: रंगों के दोहे ,
यही दुनिया का मेला ठेला है।
ReplyDeleteकोई खड़ा, कोई चला अकेला है।
वादा किया था उससे - कहा मानूंगी
ReplyDeleteरह गई हूँ अकेले, अब तक खड़ी वहीं...
चलो चलें सपनों की ओर
दूर जा चुके अपनों की ओर ...
अंतःकरण को झकझोरता वेदना के पार सब कुछ थोड़े शब्दों में अनकहा सब कुछ कह गया
बहुत खूब
हाँ दी...
ReplyDeleteचलो चलें......
सादर
अनु
मौन की भाषा बड़ा कुछ कहती है
ReplyDeleteसब देखती है ..पर सहती है ...
सुंदर .....
चलने का मन ,पर राह नहीं!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
जो आगे चले जाते हैं, उनकी स्मृतियाँ बाँधे रहती हैं। दायित्वों का निर्वाह, स्मृतियों का प्रवाह, तारे हृदय में जगमगा जायेंगे।
ReplyDeleteअकेलेपन में मन के भाव अधिक साथ देते है ..बहुत खूब
ReplyDeleteउदासी के भाव लिए ... अपनों के दुःख लिए ...
ReplyDeleteso well written !
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