न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
आपके सुनाने के अंदाज में जादू है।
पढ़ने के बाद सुनने में आनन्द आ गया..
शब्दों को अर्थ देना कोई सीखे तो अर्चना चाव जी से सुन्दर प्रस्तुति . आवाज थोडा बढ़ना चाहिए .
सुन्दर कविता
पाय लागूं बुआ थैंक यू .. :) :)
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पांय लागूं बुआ ..... लव यू बुआ ...
आपके सुनाने के अंदाज में जादू है।
ReplyDeleteपढ़ने के बाद सुनने में आनन्द आ गया..
ReplyDeleteशब्दों को अर्थ देना कोई सीखे तो अर्चना चाव जी से सुन्दर प्रस्तुति . आवाज थोडा बढ़ना चाहिए .
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