तन की तल्लिनता को तौल कर मत निहार
मन की मलिनता को मौन हो मत स्वीकार
घन की घनिष्ठता का सुन तू घोर घर्षण
छन-छन छनकती पायल का मत रख आकर्षण
धन की धौंस से न धर धीमे से गतिरोध
जन की जड़ता का कर पुरजोर विरोध....
मन की मलिनता को मौन हो मत स्वीकार
घन की घनिष्ठता का सुन तू घोर घर्षण
छन-छन छनकती पायल का मत रख आकर्षण
धन की धौंस से न धर धीमे से गतिरोध
जन की जड़ता का कर पुरजोर विरोध....
अँगड़ाई कुछ कर पाने की..
ReplyDeleteघन की घनिष्ठता का सुन तू घोर घर्षण
ReplyDeleteछन-छन छनकती पायल का मत रख आकर्षण
मन को झंकृत करती भावमय लडियां
अच्छी है ..
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteअलंकृत भाषा में सुन्दर बात कही आपने !बधाई आपको
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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