आज प्रमोद ताम्बट जी के ब्लॉग से एक व्यंग्य रचना -- मेरे गहरे साहित्यप्रेमी दोस्त और मैं
जब पॉडकास्ट बनाने के लिए कहानियों की खोज में थी तो फ़ेसबुक पर स्टेटस लिखा ---
"मैं कुछ अच्छी कहानियों की खोज में हूं, जिनका पॉडकास्ट बना सकूं, १० से १५ मिनट की ...
अगर लिंक खोजती हूं और अनुमति लेने के लिए इन्तजार करती हूं तो बहुत समय लग जाता है ... अगर आप (जो कहानियां लिखते हैं)अनुमति दे दें तो ... ब्लॉग से कहानियां मैं खुद खोज लूंगी ... :-)"
पता नहीं था बहुत फ़ायदा होने वाला है ,प्रमोद जी ने मेसेज में बताया कि हम तो व्यंग्य लिखते हैं ,और तब मिला उनका ब्लॉग ----व्यंग्यलोक ....
एक प्रयास किया पॉडकास्ट बनाने का और भेज दिया अनुमति के लिए हमेशा की तरह ,ये थोड़ी न पता था कि वे थियेटर से भी जुड़े हैं.... :-)
उन्होंने समय देकर सुना ,और कहा- "बहुत बढ़िया है, कर्णप्रिय स्वर एवं स्पष्ट उच्चारण । मैं थियेटर से हूँ इसलिए कहना चाहूँगा कि थोड़ा Voice Modulation और होता तो आनंद आ जाता।"अब अपने पल्ले तो कुछ पड़ा नहीं तो सीधे पूछा-
जब पॉडकास्ट बनाने के लिए कहानियों की खोज में थी तो फ़ेसबुक पर स्टेटस लिखा ---
"मैं कुछ अच्छी कहानियों की खोज में हूं, जिनका पॉडकास्ट बना सकूं, १० से १५ मिनट की ...
अगर लिंक खोजती हूं और अनुमति लेने के लिए इन्तजार करती हूं तो बहुत समय लग जाता है ... अगर आप (जो कहानियां लिखते हैं)अनुमति दे दें तो ... ब्लॉग से कहानियां मैं खुद खोज लूंगी ... :-)"
पता नहीं था बहुत फ़ायदा होने वाला है ,प्रमोद जी ने मेसेज में बताया कि हम तो व्यंग्य लिखते हैं ,और तब मिला उनका ब्लॉग ----व्यंग्यलोक ....
एक प्रयास किया पॉडकास्ट बनाने का और भेज दिया अनुमति के लिए हमेशा की तरह ,ये थोड़ी न पता था कि वे थियेटर से भी जुड़े हैं.... :-)
उन्होंने समय देकर सुना ,और कहा- "बहुत बढ़िया है, कर्णप्रिय स्वर एवं स्पष्ट उच्चारण । मैं थियेटर से हूँ इसलिए कहना चाहूँगा कि थोड़ा Voice Modulation और होता तो आनंद आ जाता।"अब अपने पल्ले तो कुछ पड़ा नहीं तो सीधे पूछा-
Voice Modulation =?
आवाज और जोर से रखनी थी क्या ?:-)
और फ़िर उन्होंने उतनी ही आत्मियता से बताया -- "नहीं, इसका मतलब है, आवाज़ का उतार-चढ़ाव, ड्रामा वगैरह। कन्वर्सेशन तो प्लेन नहीं हो सकता ना।......... देखिए जब सुनने वाले आपके सामने न हों तो रिडिंग में एक बात महत्वपूर्ण होती है कि कहां श्रोता का लाफ्टर आऐगा, उस पंच को पहचानना और उसे सही Modulation के साथ पढ़ना। श्रोता के रिएक्शन के लिए पॉज़ देना। सबसे बड़ी बात खुद ही रचना का आनंद लेना, आनंद लेते हुए पढ़ना। इससे पॉडकास्ट और ज्यादा श्रवणीय हो सकता है।"
तो बस! फ़िर क्या था दिमाग के घोडे़ दौडा़ए और फ़िर एक बार किया रिकार्ड ,फ़िर भेज दिया ...
अबकि बार जबाब मिला -- सुन रहा हूँ। स्टार्ट में ही भारी परिवर्तन दिख रहा है। बधाई हो।
और बस इस तरह तैयार हुआ ये पॉडकास्ट आप सबके लिए ....
आदरणीय़ प्रमोद जी का आभार इस सुझाव व सहयोग के लिए ....
और फ़िर उन्होंने उतनी ही आत्मियता से बताया -- "नहीं, इसका मतलब है, आवाज़ का उतार-चढ़ाव, ड्रामा वगैरह। कन्वर्सेशन तो प्लेन नहीं हो सकता ना।......... देखिए जब सुनने वाले आपके सामने न हों तो रिडिंग में एक बात महत्वपूर्ण होती है कि कहां श्रोता का लाफ्टर आऐगा, उस पंच को पहचानना और उसे सही Modulation के साथ पढ़ना। श्रोता के रिएक्शन के लिए पॉज़ देना। सबसे बड़ी बात खुद ही रचना का आनंद लेना, आनंद लेते हुए पढ़ना। इससे पॉडकास्ट और ज्यादा श्रवणीय हो सकता है।"
तो बस! फ़िर क्या था दिमाग के घोडे़ दौडा़ए और फ़िर एक बार किया रिकार्ड ,फ़िर भेज दिया ...
अबकि बार जबाब मिला -- सुन रहा हूँ। स्टार्ट में ही भारी परिवर्तन दिख रहा है। बधाई हो।
और बस इस तरह तैयार हुआ ये पॉडकास्ट आप सबके लिए ....
आदरणीय़ प्रमोद जी का आभार इस सुझाव व सहयोग के लिए ....
शुक्रिया अर्चना जी। आपने रिकार्डिंग के लिए मेरा व्यंग्य चुना।
ReplyDeleteजितनी अच्छी रचना उतनी ही अच्छी अर्चना!!
ReplyDeleteसुनने में भाव निखर आते हैं।
ReplyDeleteबहुत खूब!
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