Sunday, May 19, 2013

यत्र आलस्य तत्र वात्सल्य ....

अनूप जी की पोस्ट को यहाँ पढ़ सकते हैं आप ---
और सुने यहाँ---

11 comments:

  1. पढ़कर और तब सुनकर रचना पूर्ण हो गयी मन में।

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  2. बहुत अच्छा जरिया शुक्रिया
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-05-2013) के 'सरिता की गुज़ारिश':चर्चा मंच 1250 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  3. बहुत बढ़िया पोस्ट... आवाज़ लाज़वाब

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  4. aalas devo bhava..
    iski har waqt karte raho puja
    isse badhkar nahi koi aur kaam duja

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  5. aalas devo bhava..
    iski har waqt karte raho puja
    isse badhkar nahi koi aur kaam duja

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  6. आराम शब्द में राम छिपा जो भव बंधन को खेता है .....आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है ....!!:))

    रचना भी बढ़िया और आवाज़ और अंदाज़ भी सुन्दर ...

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  7. अच्छे से रिकार्ड किया है आपने शुक्रिया। धन्यवाद!

    मेरे यहां लगता नेट में कुछ लफ़ड़ा है। 1.43 मिनट के आगे सुनाई ही नहीं देता। :)

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  8. मज़ा आ गया जी सुन के ...
    शुक्रिया ..

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  9. आज करे सो काल कर, काल करे सो परसों
    इतनी जल्दी क्या है बेटा जीना है कई बरसों

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  10. हां अब सुनाई दिया कायदे से। फ़िर से धन्यवाद! :)

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