Sunday, June 2, 2013

उफ़्फ़! ये....

बदराया आकाश  
सहमा-सा सूरज
गुनगुना प्रकाश
नहाई प्रकॄति
अठखेली करती पछुआ
महकती फ़िजा
सिहरता मन
कसमसाता यौवन
खिलता चाँद
ठिठुरती रात
सुहानी सुबह...
.........

8 comments:

  1. सुंदर शब्द चित्र खींचा है आपने। फोटोग्राफरों के लिए चुनौती कि ऐसे चित्र खींच कर दिखायें.. :)

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  2. प्रकृति अपने सौन्दर्य में मदमायी है, सुन्दर वर्णन।

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  3. सब कुछ आसपास...एक हसीन अहसास!!

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  4. मौसम को शब्दों में बेहतरीन तरीके से बांधा है, बहुत सुंदर शब्द चित्र.

    रामराम.

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  5. सारा का सारा दृश्य सामने रख दिया और यहाँ की तपती गर्मी में भी मुझे राहत महसूस हुयी!!

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  6. सुंदर सुंदर चित्र खीचा है आपने

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  7. वाह ... बेहतरीन

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  8. सचमुच उफ्फ ये लाजवाब

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