Saturday, July 27, 2013

दो बूँद ....





हाँ,
दो बूँद गिरी 
मेरे शहर में
भीगी थी जिसमें
मैं,
खुशबू बसी है
अब भी वही
महसूस कर जिसे 
बन्द होती हैं पलकें
मेरी...

8 comments:

  1. मन दुख से तार तार हो गया, श्रद्धांजलि..

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  2. दुःखों की जब बरसात होती है
    भीगते हैं हम
    बंद होती हैं पलकें
    गिरती हैं
    दो बूँद
    ......आपकी इन दो बूँदों ने हमे भी भिगो दिया। विनम्र श्रद्धांजलि।

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  3. विनम्र श्रद्धांजलि।

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  4. सभी बहुत दुखी हैं, घर पर संवेदना व्यक्त करने आये लोगों के हुजूम से मार्मिकता और इनकी मिलनसारिता का पता लगता है.

    विनम्र श्रद्धांजलि.

    रामराम.

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  5. विनम्र श्रद्धांजलि...!!

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