न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
मन दुख से तार तार हो गया, श्रद्धांजलि..
श्रद्धांजलि!
दुःखों की जब बरसात होती हैभीगते हैं हम बंद होती हैं पलकेंगिरती हैं दो बूँद......आपकी इन दो बूँदों ने हमे भी भिगो दिया। विनम्र श्रद्धांजलि।
विनम्र श्रद्धांजलि।
सभी बहुत दुखी हैं, घर पर संवेदना व्यक्त करने आये लोगों के हुजूम से मार्मिकता और इनकी मिलनसारिता का पता लगता है. विनम्र श्रद्धांजलि.रामराम.
श्रद्धांजलि
नितांत दुखद
विनम्र श्रद्धांजलि...!!
मन दुख से तार तार हो गया, श्रद्धांजलि..
ReplyDeleteश्रद्धांजलि!
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ReplyDeleteदुःखों की जब बरसात होती है
भीगते हैं हम
बंद होती हैं पलकें
गिरती हैं
दो बूँद
......आपकी इन दो बूँदों ने हमे भी भिगो दिया। विनम्र श्रद्धांजलि।
विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteसभी बहुत दुखी हैं, घर पर संवेदना व्यक्त करने आये लोगों के हुजूम से मार्मिकता और इनकी मिलनसारिता का पता लगता है.
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि.
रामराम.
श्रद्धांजलि
ReplyDeleteनितांत दुखद
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