Tuesday, August 13, 2013

पंछी बनूं उड़ती फिरूं.....


जीवन मेरा 
बुलबुल के जैसा 
चुलबुल सा 

गोरैया हूँ मैं 
घर में ही रहती 
बच्चे पालती

कोयल सी मैं 
सब कुछ गा लेती
मधुर बना ...
-अर्चना

6 comments:

  1. वाह बहुत ही शानदार, तीनों ही हाइकू बिल्कुल थैमेटिक लग रहे हैं.

    रामराम.

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  2. बुलबुल, गौरय्या एवं कोयल!
    वाह!

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  3. आपकी यह रचना कल बुधवार (14-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  4. पंछी का जीवन सबसे सुन्दर ...

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