न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
आभार आपका .
पढ़ने का आनन्द सुनने के बाद और भी बढ़ जाता है।
वाह सुनने का अलग ही मज़ा है ... वो भी आपकी आवाज़ में ...
प्रकृति का मानवीकरण और आपकी बेहतरीन प्रस्तुति
आभार आपका .
ReplyDeleteपढ़ने का आनन्द सुनने के बाद और भी बढ़ जाता है।
ReplyDeleteवाह सुनने का अलग ही मज़ा है ... वो भी आपकी आवाज़ में ...
ReplyDeleteप्रकृति का मानवीकरण और आपकी बेहतरीन प्रस्तुति
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